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Krishan Veer Rathi
सच सच ये है कि इस दुनिया में कोई किसी का नहीं होता, सारे रिश्ते झूठे होते हैं, वो चाहे खून के हों या बनाये हुये हों। खाली शरीर लेकर आये थे और दो गज कफन लेकर जाओगे। इस दो गज कफन के लिये ही सारे रिश्ते नाते हैं। #सच
Pourushi
#OpenPoetry पहली #दफ़ा ... गज भर की साड़ी पहनी गई ... स्कूल की विदाई पार्टी में.. वो साड़ी थी #आज़ादी की उड़ान... ख़ुद की इच्छा से बाँधी साड़ी... #पाँव फँसे तो सबने कहा... "ज़रा सम्भलकर"....! फिर पहनी ... गज भर की साड़ी #शादी के बाद.. इस दफ़ा साड़ी को मैंने नहीं #साड़ी ने मुझे बाँधा.. आज़ादी की उड़ान .. ज़मीं पर रोक दी गई.. पाँव #फँसे तो सबने कहा... "इतना भी नहीं सम्भाल सकती"... फ़क़त एक #कपड़ा ही तो था... बस मायने बदल गए वक़्त के साथ....! #OpenPoetry
srk Khan
जशन - ए - बहार जशन - ए - बहार देखो, जशन - ए - बहार ख्वाबों कि लीला में प्यारा - सा ख्वाब ना बन्दिश ना रोक हैं ईन आते जाते ख्वाबो पे ख्वाबों के समन्दर के , ये ख्वाब बड़े निराले है जशन - ए - बहार देखो जशन - ए - बहार ख्वाबों कि लीला में प्यारा - सा ख्वाब दो गज जमीं का लिया टूकड़ा उदार छोटी सी दुनिया का प्यारा - सा साथ छोड़ के जाना है, घर दो गज जमीं के जशन ए बहार देखो, जशन - ए - बहार छोटी सी दुनिया का प्यारा - सा साथ #जशन-ए-बहार #Nojoto #poety #gajal #vichar #srkkhan
Mohammad Irfan Ansari
WorldDrugDay इंसान ख्वाहिशों की कोई नहीं है इल्तिजा 2 गज जमीन चाहिए 2 गज कफन के साथ
Raj 94myfm
चलकर देखा है मैंने अक्सर अपने चाल से तेज साहब वक्त और तकदीर के आगे कभी चल ना सके ना जैसे जैसे मेरी उम्र में वृद्धि होती गई, मुझे समझ आती गई कि अगर *मैं Rs.3000 की घड़ी पहनू या Rs.30000 की* दोनों *समय एक जैसा ही बताएंगी* ..! . मेरे पास *Rs.3000 का बैग हो या Rs.30000 का*, इसके *अंदर के सामान* मे कोई परिवर्तन नहीं होंगा। ! मैं *300 गज के मकान में रहूं या 3000 गज के* मकान में, *तन्हाई का एहसास* एक जैसा ही होगा।! आख़ीर मे मुझे यह भी पता चला कि यदि मैं *बिजनेस क्लास में यात्रा करू या इक्नामी क्लास*, मे अपनी *मंजिल पर उसी नियत समय पर ही पहुँचूँगा*।!
Anil Siwach
Ankush Saxena
" सुना है आजकल वहां उस मकान के इर्दगिर्द कोई शख्स नही जाया करता, हाँ वही मकान जो कभी किसी रोज घर हुआ करता था उस परिंदे का कि जिसको बेहद गुरुर था अपने गज भर के उस आशियाने पर ,उसके एक इशारे पर तमाम शख्स के यूँही इकट्ठा हो जाने पर ,वो हर दम खुदपसंद हुआ करता था,हर रोज जब जहन मे उसके हसरत हुआ करती थी कोई ,खुद की दौलत से खरीद उसे अपनी रहीसी की नुमाइश करता था , जज्बातों से तो मानो कब का रुख मोड़ लिया था उसने ,हर दफा दौलत के बूते पर रिश्तों की आजमाइश करता था,जिंदगी की असलियत को भुला चुका था वो शायद ,अपने कुछ रोज के लिए हासिल हुए उस आशियाने मे ही हर पहर जिया करता था ,मगर देखो आज वो आशियाना एक दम वीराना सा मालूम पड़ता है मुझको, उसका हर एक कोना- कोना खुद अपने आप मे अकेला है ,एक गुजारिश है तुमसे कि अबकी मरतबा जब कभी तुम गुजरना उस तरफ से तो जरा एक नजर देख आना उसको कि तुम जितने अकेले थे उस दौर मे आज वो गज भर का आशियाना तुम्हारा ,उस दौर से भी बेहद अकेला है "।। #NojotoQuote
Rajesh Kumar Verma Rajesh
जैसे जैसे मेरी उम्र में वृद्धि होती गई, मुझे समझ आती गई कि अगर *मैं Rs.3000 की घड़ी पहनू या Rs.30000 की* दोनों *समय एक जैसा ही बताएंगी* ..! . मेरे पास *Rs.3000 का बैग हो या Rs.30000 का*, इसके *अंदर के सामान* मे कोई परिवर्तन नहीं होंगा। ! मैं *300 गज के मकान में रहूं या 3000 गज के* मकान में, *तन्हाई का एहसास* एक जैसा ही होगा।! आख़ीर मे मुझे यह भी पता चला कि यदि मैं *बिजनेस क्लास में यात्रा करू या इक्नामी क्लास*, मे अपनी *मंजिल पर उसी नियत समय पर ही पहुँचूँगा*।! इस लिए _ *अपने बच्चों को अमीर होने के लिए प्रोत्साहित मत करो बल्कि उन्हें यह सिखाओ कि वे खुश कैसे रह सकते हैं और जब बड़े हों, तो चीजों के महत्व को देखें उसकी कीमत को नहीं* _ .... .. फ्रांस के एक वाणिज्य मंत्री का कहना था *ब्रांडेड चीजें व्यापारिक दुनिया का सबसे बड़ा झूठ होती हैं जिनका असल उद्देश्य तो अमीरों से पैसा निकालना होता है लेकिन गरीब इससे बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं*। क्या यह आवश्यक है कि मैं Iphone लेकर चलूं फिरू ताकि लोग मुझे *बुद्धिमान और समझदार मानें?* क्या यह आवश्यक है कि मैं रोजाना *Mac या Kfc में खाऊँ ताकि लोग यह न समझें कि मैं कंजूस हूँ?* क्या यह आवश्यक है कि मैं प्रतिदिन दोस्तों के साथ *उठक बैठक Downtown Cafe पर जाकर लगाया करूँ* ताकि लोग यह समझें कि *मैं एक रईस परिवार से हूँ?* क्या यह आवश्यक है कि मैं *Gucci, Lacoste, Adidas या Nike के कपड़े पहनूं ताकि जेंटलमैन कहलाया जाऊँ?* क्या यह आवश्यक है कि मैं अपनी हर बात में दो चार *अंग्रेजी शब्द शामिल करूँ ताकि सभ्य कहलाऊं?* क्या यह आवश्यक है कि मैं *Adele या Rihanna को सुनूँ ताकि साबित कर सकूँ कि मैं विकसित हो चुका हूँ?* _*नहीं ..... !!!*_ मेरे कपड़े तो *आम दुकानों* से खरीदे हुए होते हैं, दोस्तों के साथ किसी *ढाबे* पर भी बैठ जाता हूँ, भुख लगे तो किसी *ठेले* से ले कर खाने मे भी कोई अपमान नहीं समझता, अपनी सीधी सादी भाषा मे बोलता हूँ। चाहूँ तो वह सब कर सकता हूँ जो ऊपर लिखा है _*लेकिन ....*_ मैंने ऐसे लोग भी देखे हैं जो *मेरी Adidas से खरीदी गई एक कमीज की कीमत में पूरे सप्ताह भर का राशन ले सकते हैं।* मैंने ऐसे परिवार भी देखे हैं जो मेरे *एक Mac बर्गर की कीमत में सारे घर का खाना बना सकते हैं।* बस मैंने यहाँ यह रहस्य पाया है कि *पैसा ही सब कुछ नहीं है* जो लोग किसी की बाहरी हालत से उसकी कीमत लगाते हैं वह तुरंत अपना इलाज करवाएं। *मानव मूल की असली कीमत उसकी _नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सुल्ह-रहमी, सहानुभूति और भाईचारा है_। ना कि उसकी मोजुदा शक्ल और सूरत* ... !!! *सूर्यास्त के समय एक बार सूर्य ने सबसे पूछा, मेरी अनुपस्थिति मे मेरी जगह कौन कार्य करेगा?* *समस्त विश्व मे सन्नाटा छा गया। किसी के पास कोई उत्तर नहीं था। तभी कोने से एक आवाज आई।* *दीपक ने कहा "मै हूं ना"* *मै अपना पूरा प्रयास करुंगा ।* *आपकी सोच में ताकत और चमक होनी चाहिए। छोटा -बड़ा होने से फर्क नहीं पड़ता,सोच बड़ी होनी चाहिए। मन के भीतर एक दीप जलाएं और सदा मुस्कुराते रहें।। सोचियेगा ज़रूर.......😊