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Best जानकी Shayari, Status, Quotes, Stories

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Ghumnam Gautam

वन में निश-दिन विचरना अलग बात है
राम में राम होने के गुण थे सभी

वीरता धैर्य करुणा सहज सौम्यता
राम में राम होने के गुण थे सभी

वध दशानन का करना अलग बात है
राम में राम होने के गुण थे सभी

जानकी भी तो थी जानकी इसलिए
राम में राम होने के गुण थे सभी

©Ghumnam Gautam #NojotoRamleela 
#राम #जानकी 
#वन 
#गुण 
#वह
#ghumnamgautam

Shweta Mairav

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Kuldeep Shrivastava

#श्रीराम मां #जानकी की विवाह की हार्दिक शुभकामनाएं ❤️🙏🚩 #जय__सिया__राम__जी #समाज

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दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था। 
आप सभी को प्रभु #श्रीराम
 मां #जानकी की विवाह की हार्दिक शुभकामनाएं ❤️🙏🚩
#जय__सिया__राम__जी

©Kuldeep Shrivastava #श्रीराम मां #जानकी की विवाह की हार्दिक शुभकामनाएं ❤️🙏🚩
#जय__सिया__राम__जी

Arun Shukla ( मृदुल)

#जानकी #SunSet Madhusudan Shrivastava rajeev Bhardwaj सुधा भारद्वाज Ritagya kumari Anshu writer sk manjur #कविता

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सत्य सेवा धर्म और पति परायणता का,
ज्ञान ये सहज जन सबको सिखाती है।
पालती हैं बच्चों को निज पुण्य बल से जो
देती सद ज्ञान तो ओ जननी कहाती हैं।
मानती है धर्म पति सास-ससुर सेवा ,
नारि सिरमौर बन सबको सुहाती हैं।
तिनका दिखाते जिनसे डरा था दशशीश,
जनक दुलारी वही जानकी कहाती हैं।।

©Arun Shukla #जानकी

#SunSet  Madhusudan Shrivastava rajeev Bhardwaj सुधा भारद्वाज Ritagya kumari Anshu writer   sk manjur

Anupam Mishra

#सीतामढ़ी #माँ #सीता #जानकी #मीथिला मिथिला नरेश राजा जनक की नगरी जिसकी धरती से माँ जानकी उभड़ीं, आते ही बंजर जमीं पर कृपा बरस पड़ी, सदियों से रही विरान जमीं हुयी हरी भरी, नाम सीतामढ़ी उसे माँ सीता से ही मिली, जनकपुर नगरी में सिया नाजों से पली बढ़ीं,

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सीतामढ़ी नगरी #सीतामढ़ी #माँ #सीता #जानकी #मीथिला

मिथिला नरेश राजा जनक की नगरी
जिसकी धरती से माँ जानकी उभड़ीं,
आते ही बंजर जमीं पर कृपा बरस पड़ी,
सदियों से रही विरान जमीं हुयी हरी भरी,
नाम सीतामढ़ी उसे माँ सीता से ही मिली,
जनकपुर नगरी में सिया नाजों से पली बढ़ीं,

Kh_Nazim

लंकेश #तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की बदला भेश हो गए #साधु हम भी , पता न था उसकी #कुटिया का तब हाथ फैला कर हो गए #भिखारी हम भी रास्ता #जंगल वन से गुजरता गया दण्डकवन से #जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा #कविता #जनक #जासूस #स्वर्ण #मुक्ति #चोला #विश्वामित्र #khnazim #पीतवासा

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लंकेश
तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की
बदला भेश हो गए साधु हम भी ,
पता न था उसकी कुटिया का
तब हाथ फैला कर हो गए भिखारी हम भी
रास्ता जंगल वन से गुजरता गया
दण्डकवन से जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला
हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा
देखा विश्वामित्र प्रिय मैने 
 तब पाया मुक्ति का साधन 
विवश हो के मैं रोने लगा,
जनक पुत्री मैं हरने लगा 
जो संत का चोला ओढ़ था 
अब मैं उसे उससे छलने लगा
मेघ रथ पे ले गया,
स्वर्ण वाटिका ....
सम्मान से रखा अंत तक 
अपने पीतवासा के आने तक
मुक्ति का साधन मिला मुझे मेरे घर से
जासूस जो निकाला दिया अपने ग्रह से
वो जा मिला मेरे मित्र से
हो गया मुक्त मैं अपने आराध्य से । लंकेश
#तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की
बदला भेश हो गए #साधु हम भी ,
पता न था उसकी #कुटिया का
तब हाथ फैला कर हो गए #भिखारी हम भी
रास्ता #जंगल वन से गुजरता गया
दण्डकवन से #जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला
हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा


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