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Unknown Boy

हर रोज #अपडेट कर रहा हूं अपना #दिल.... पर ना जाने क्यूँ तेरे #बीना
#त्रुटि बता रही है।

©Unknown Boy Love ❤️

#angrygirl#love#angrygirl

Zainabkishayri

हम  तब  तक असंतुष्ट  रहेंगे

जब तक  त्रुटियां निकालते रहेंगे

©Zainab siddiqui #त्रुटि

Anand Kumar

त्रुटि रहित न मैं हूँ, न तुम हो,
       दोनों मनुष्य हैं, भगवान
           न मैं हूँ,  न तुम हो।

    *परस्पर  हम  दोष देते हैं, एक*
     दूसरे  को, पर  अपने  अंदर
      झाँकता न मैं हूँ,न तुम हो।

    भ्रम ने पैदां कर दी इंसानों में
        दूरियाँ, पर  सच में बुरा
            न मैं हूँ, न तुम हो।

©Anand Kumar #इंसान #त्रुटि 

#SunSet

Tanmay

मजहब की ले चिल्लम, गांजा धर्म का भरा.. 
जाति की जला माचिस, मैंने इंसान फूँक डाला ! #धर्म #संवेदना #लाचार #त्रुटि #पीड़ा #मजहब #समाज #लोग

Ashok Kumar

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कोई त्रुटि तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और ना ही कोई सत्य इसलिए त्रुटि नहीं बन सकता हैं क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा| महात्मा गांधी.

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 1 - भक्ति पंचम पुरुषार्थ योगिनामपि सुर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना। श्रद्धावान् भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः।। (गीता 6-47)

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
1 - भक्ति पंचम पुरुषार्थ

योगिनामपि सुर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना।
श्रद्धावान् भजते यो मां स मे युक्ततमो मतः।।
(गीता 6-47)

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 3 - मा ते संगोस्त्वकर्मणि 'जीवन का उद्देश्य क्या है?' जिज्ञासा सच्ची हो तो वह अतृप्त नहीं रहती। भगवान की सृष्टि का विधान है कि कोई भी अपने को जिसका अधिकारी बना लेता है, उसे पाने से वह वंचित नहीं रखा जाता। 'आत्मसाक्षात्कार या भगवत्प्राप्ति?' उत्तर तो एक ही है। यही उत्तर उसे भी मिलना था और मिला - 'यह तो तुम्हारे अधिकार एवं रुचिपर निर्भर करता है कि तुम किसको चुनोगे। यदि तुम मस्तिष्कप्रधान हो तो प्रथम ओर हृदयप्रधान हो तो द्वितीय।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
3 - मा ते संगोस्त्वकर्मणि

'जीवन का उद्देश्य क्या है?' जिज्ञासा सच्ची हो तो वह अतृप्त नहीं रहती। भगवान की सृष्टि का विधान है कि कोई भी अपने को जिसका अधिकारी बना लेता है, उसे पाने से वह वंचित नहीं रखा जाता।

'आत्मसाक्षात्कार या भगवत्प्राप्ति?' उत्तर तो एक ही है। यही उत्तर उसे भी मिलना था और मिला - 'यह तो तुम्हारे अधिकार एवं रुचिपर निर्भर करता है कि तुम किसको चुनोगे। यदि तुम मस्तिष्कप्रधान हो तो प्रथम ओर हृदयप्रधान हो तो द्वितीय।'


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