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Best चुभ Shayari, Status, Quotes, Stories

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बेजुबान शायर shivkumar

#Tulips ये #जिंदगी #तमन्नाओं का #गुलदस्ता ही तो है... कुछ #महकती है...कुछ #मुरझाती है...कुछ #चुभ जाती है...!!! #hunarbaaz

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Urvashi Kapoor

#चुभ गई कई बातें...…. #शायरी

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Gumnam Shayar Mahboob

वो बिछड़ गए तो क्या फायदा जाने से उन राहों में
उसके वादे टूट के बिखरें होंगे चुभ जायेंगे पावों में #बिछड़ #फ़ायदा #राहों #वादे 
#पांव #चुभ #गुमनाम_शायर_महबूब 
#gumnam_shayar_mahboob

Vicky Kumar Anand

#World_Theatre_Day आज #हम उनके #आँखों में #चुभ रहे हैं। मेरा कमियां उनको, उस दिन खलेगा, जब हम, उनसे दूर #Love #Life #SAD #nojotohindi #nojotostory #Motivational vidhi arora MONIKA SINGH shayari and kavita By Rajesh Rj motivation india Sudha Tripathi #शायरी

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आज हम उनके आँखों में चुभ रहे हैं।
मेरा कमियां उनको, उस दिन खलेगा,
जब हम, उनसे दूर होंगे।


✍️Vicky Kumar Anand #World_Theatre_Day आज #हम उनके #आँखों में #चुभ रहे हैं।
मेरा कमियां उनको, उस दिन खलेगा,
जब हम, उनसे दूर 
#Love #Life #Sad #nojotohindi #nojotostory #motivational vidhi arora MONIKA SINGH shayari and kavita By Rajesh Rj motivation india  Sudha Tripathi

दीपेश

दिल #शायरी

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काँच सा दिल कांच से है दिल न तोड़ो चिकना है फिर चुभ जाएगा
देख लो दर्पण समझकर हो बसे दिख जाएगा
आ चिपक जा चुभ जा धस जा, बस जा है दुनिया बड़ी
देखकर मुझको सवर जा ,यूँ  कुचल पछताएगा
कांच सा है दिल न तोड़ो,चिकना है फिर चुभ जाएगा दिल

Vijendra Bajiya

एक कहानी अपनी सी बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया .. इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ... जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है ..... #story #nojotophoto

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 एक कहानी अपनी सी 

 बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया ..

इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया 
मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ...

जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है .....

PAVITRA KUMAR

समुन्द्र की लहरों को बस इतनी सी बात चुभ गई,
एक कागज की कश्ती कैसे मुझ पर चल गई।

तूफानी हवाओं को बस इतनी सी बात चुभ गई,
पेड़ तलक जब टूट गए तो घास कैसे बच गई।

खाली कमरे को बस इतनी सी बात चुभ गई,
कैसे एक प्रकाश की लौ पूरा मुझे भर गई।

अमीरी को बस इतनी सी बात चुभ गई,
एक गरीब मुस्कान कैसे मुझसे लड़ गई।

पांच शब्दों कि असफलता को बस इतनी सी बात चुभ गई,
कैसे सफलता की कीमत चार शब्दों की होकर भी मुझसे बढ़ गई।


pavitra #success #comes with #झक #मार के
#inspiration #hardwork

Shammi Mishra

0s0, तुम्हारे नाम के साथ कुछ और जोड़ने की हिम्मत नहीं है मेरी, न हीं कुछ और जोड़ना मैं जरूरी समझता हूँ. जरूरत हीं नहीं तुम्हारे नाम के आगे “प्यारी”, “प्रिय” “My Love” या “डिअर” लगाने की. तुम्हारा नाम लेने के साथ जो चेहरा उभरता है, उससे तो सहज हीं प्यार हो जाए. फिर तुम्हें किसी और विशेषण की क्या आवश्यकता. तुम तक यह बात Love Letter लिखकर पहुंचा रहा हूँ मैं जानता हूँ तुम मुझसे बहुत नाराज़ हो। कुछ बातें कहनी थी तुमसे, पर तुम न मेरे CAll उठा रही हो, न मेसेज का जवाब दे रही हो। मैं कहना चाहता था जो मुझे

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0s0,
तुम्हारे नाम के साथ कुछ और जोड़ने की हिम्मत नहीं है मेरी, न हीं कुछ और जोड़ना मैं जरूरी समझता हूँ. जरूरत हीं नहीं तुम्हारे नाम के आगे “प्यारी”, “प्रिय” “My Love” या “डिअर” लगाने की. तुम्हारा नाम लेने के साथ जो चेहरा उभरता है, उससे तो सहज हीं प्यार हो जाए. फिर तुम्हें किसी और विशेषण की क्या आवश्यकता. तुम तक यह बात Love Letter लिखकर पहुंचा रहा हूँ 
मैं जानता हूँ तुम मुझसे बहुत नाराज़ हो। कुछ बातें कहनी थी तुमसे, पर तुम न मेरे CAll उठा रही हो, न मेसेज का जवाब दे रही हो। मैं कहना चाहता था जो मुझे

jagmag

ये इतनी बेचैनी क्यों है मेरी तबीयत में जैसे की जिंदगी हार के मैं लौटी हूँ।।

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चले जाओ कि तुम्हारी बातें चुभ रही मुझको
तुम्हारी यादें चुभ रही मुझको ये इतनी बेचैनी क्यों है मेरी तबीयत में
जैसे की जिंदगी हार के मैं लौटी हूँ।।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 8 - असुर उपासक 'वत्स, आज हम अपने एक अद्भुत भक्त का साक्षात्कार करेंगे।' श्रीविदेह-नन्दिनी का जबसे किसी कौणप ने अपहरण किया, प्रभु प्रायः विक्षिप्त-सी अवस्था का नाट्य करते रहे हैं। उनके कमलदलायत लोचनों से मुक्ता की झड़ी विराम करना जानती ही नहीं थी। आज कई दिनों पर - ऐसे कई दिनों पर जो सौमित्र के लिए कल्प से भी बड़े प्रतीत हुए थे, प्रभु प्रकृतस्थ होकर बोल रहे थे - 'सावधान, तुम बहुत शीघ्र उत्तेजित हो उठते हो! कहीं कोई अनर्थ न कर बैठना! शान्त रह

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
8 - असुर उपासक

'वत्स, आज हम अपने एक अद्भुत भक्त का साक्षात्कार करेंगे।' श्रीविदेह-नन्दिनी का जबसे किसी कौणप ने अपहरण किया, प्रभु प्रायः विक्षिप्त-सी अवस्था का नाट्य करते रहे हैं। उनके कमलदलायत लोचनों से मुक्ता की झड़ी विराम करना जानती ही नहीं थी। आज कई दिनों पर - ऐसे कई दिनों पर जो सौमित्र के लिए कल्प से भी बड़े प्रतीत हुए थे, प्रभु प्रकृतस्थ होकर बोल रहे थे - 'सावधान, तुम बहुत शीघ्र उत्तेजित हो उठते हो! कहीं कोई अनर्थ न कर बैठना! शान्त रह
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