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i am Voiceofdehati

आप किसी को चाहे जितना समय दो उसके लिए तुम्हारे समय कोई मूल्य नहीं है, क्योंकि लोगों को पैसे दिखाई देते हैं आपके जीवन का बहुमूल्य समय नहीं। अगर परिवार में दो या दो से अधिक भाई हो और एक घर पर मां बाप के पास रहे उनकी देखभाल करें, बीमार होने पर दवाई करें बाप के सम्मान को समाज में बनाए रखें लेकिन मां बाप उसकी उतनी कीमत नहीं लगाएंगे जितनी बाहर रहकर पैसे कमाने वाले बेटों की। चाहे बाहर रहने वाला बेटा कभी कभार ही बात करता हो, कभी कभार ही पैसे देता हो। लेकिन मां बाप व यह समाज भी बाहर रहने वाले बेटों को #yqdidi #मेरीक़लमसे #फर्जी #बदलता_दौर #voiceofdehati #समयकेसाथ #wrimoro

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जो फर्ज निभाते हैं
वो ही फर्जी कहलाते हैं

जो रहते हैं मां बाप के पास
पैसे नहीं कमाते हैं 
वो फर्जी कहलाते हैं
जो सामाज में समय बिताते हैं 
वो फर्जी कहलाते हैं
जो द्वार पर आए लोगों को
पानी चाय पिलाते हैं वो फर्जी कहलाते हैं
जो पूरे घर की जिम्मेदारियों को 
कंधो पर उठाते हैं
वो फर्जी कहलाते हैं
जो स्वार्थ से परे होकर
ईमानदारी दिखाते हैं
वो फर्जी कहलाते हैं
जो परिवार को साथ रखकर
बिखरने से बचाते हैं 
वो फर्जी कहलाते हैं
सब कुछ करने के बाद भी
जिन्हें घर पर ताने सुनाए जाते हैं
वो‌ फर्जी कहलाते हैं
और वे जो मां बाप को छोड़कर
बीबी बच्चों को लेकर, बस धन कमाते हैं
वो समाज क्या मां बाप की नजरों में भी
नायक बन जाते हैं। आप किसी को चाहे जितना समय दो उसके लिए तुम्हारे समय  कोई मूल्य नहीं है, क्योंकि लोगों को पैसे दिखाई देते हैं  आपके जीवन का बहुमूल्य समय नहीं।
अगर परिवार में दो या दो से अधिक भाई हो और एक घर पर मां बाप के पास रहे उनकी देखभाल करें, बीमार होने पर दवाई करें
बाप के सम्मान को समाज में बनाए रखें 
लेकिन मां बाप उसकी उतनी कीमत नहीं लगाएंगे जितनी बाहर रहकर पैसे कमाने वाले बेटों की।
चाहे बाहर रहने वाला बेटा कभी कभार ही बात करता हो, कभी कभार ही पैसे देता हो।
लेकिन मां बाप व यह समाज भी बाहर रहने वाले बेटों को

Vinay Kumar

#फर्जी दोस्ती #haramidost #Dosti Love&dosti #दोस्ती #Poetry

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J Bishnoi

ताला लगवा दो मोहब्बत की युनिवर्सिटी को,
हर रोज किसी #आशिक की
डिग्री #फर्जी हो रही है।।

©J Bishnoi #lonely #Love

Ek villain

#फर्जी अकाउंट पर हो प्रभावी नियंत्रण #navratri #Society

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अमेरिका ने के एक मनोवैज्ञानिक पर लेख जो बोर्ड ने ऐसी स्थिति में मनुष्य की व्यवहारिक परवर्ती का अध्ययन किया था जब उनकी पहचान को गुप्त रखा गया जो परिणाम सामने आए वापेक्स रूप से सही दिशा में थे कहीं जाए सोचा गया था लगभग वैसे ही परिणाम प्राप्त हुए निष्कर्ष है कि अगर कोई अपनी पहचान गुप्त रखता है तो उसके नियंत्रण दिया उधर भी व्यवहार में शामिल होने की बजाय अधिकांश थी कुछ ऐसा ही आजकल हमें अपनी दिशा के तमाम इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी देखने को मिल रहा है आज इन प्लेटफार्म या नीमच पर कोई ना कोई अपनी पहचान छुपा कर अपने हद को पार कर रहे हैं उनके व्यवहार करने की क्षमता से बाहर होता है देश में यह भी आता है कि किसी के अभाव में उन पर किसी भी तरह की कार्रवाई ना हो पाती स्थिति की अराजकता की स्थिति को खत्म करना इंटरनेट मीडिया में प्रदर्शित करना प्लेटफार्म कीजिए उधर से सूचना के संबंध में एक सामान्य एवं व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके

©Ek villain #फर्जी अकाउंट पर हो प्रभावी नियंत्रण

#navratri

OMG INDIA WORLD

#OMGINDIAWORLD #हमसे मोहब्बत का #दिखावा न किया कर.!! हमें #मालूम है तेरे वफा की डिग्री #फर्जी है.!! 💐💐💐💐💐💐 #शायरी

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#हमसे मोहब्बत का #दिखावा न किया कर.!!
हमें #मालूम है तेरे वफा की डिग्री #फर्जी है.!!

©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD 
#हमसे मोहब्बत का #दिखावा न किया कर.!!
हमें #मालूम है तेरे वफा की डिग्री #फर्जी है.!!
💐💐💐💐💐💐

gora_shayer

#आज #कल #गोरा #फर्जी #आईडीयो से चेक होने लगा हूं वोहो क्या जाने की में उनसे अच्छी तरह परिचित होने लगा हूं #गोरा #Gora #Anhoni #ज़िन्दगी

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आज कल गोरा फर्जी आईडीयो से चेक होने लगा हूं 
वोहो क्या जाने की में उनसे अच्छी तरह परिचित होने लगा हूं

©Narendra Kumar Gora
  #आज #कल #गोरा #फर्जी  #आईडीयो से चेक होने लगा हूं
वोहो क्या जाने की में उनसे अच्छी तरह परिचित होने लगा हूं
#गोरा #Gora 
#Anhoni

gora_shayer

#आज #कल #गोरा #फर्जी #आईडीयो से चेक होने लगा हूं वोहो क्या जाने की में उनसे अच्छी तरह परिचित होने लगा हूं #गोरा #Gora #Anhoni #ज़िन्दगी

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आज कल गोरा फर्जी आईडीयो से चेक होने लगा हूं 
वोहो क्या जाने की में उनसे अच्छी तरह परिचित होने लगा हूं

©Narendra Kumar Gora #आज #कल #गोरा #फर्जी  #आईडीयो से चेक होने लगा हूं
वोहो क्या जाने की में उनसे अच्छी तरह परिचित होने लगा हूं
#गोरा #Gora 
#Anhoni

Surya Kant singh

#Rose#फर्जी मोहब्बत और समाज #Rose #लव

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"फर्जी मोहब्बत और समाज"


' प्यार करना पाप नहीं, विरोधी हमारा बाप नहीं..

लेकिन प्यार को परवान दो।

           हमारे गांव में एक बहुत ही अमीर व्यक्ति रहता था शेठ बलवंत सिंह। इनका इकलौता वारिस था जिसका नाम है रॉकी । अकेला होने के कारण इसे घर में लार - प्यार खूब मिला करता था इसी बेशुमार प्यार की वजह से बिगड़ना शुरू कर दिया। एकदम मनबरुह हो गया , जो मन करता वहीं करता जिस बाप का पूरे गांव में इज्जत होता है उस बाप को अपने घर में इज्जत का फालूदा बना दिया जाता है। अब बलवंत सिंह करे भी तो क्या करें इकलौता पुत्र की मोह में रॉकी का हर एक सरारते खुशी - खुशी सह लेते हैं।

बहुत कहने - सुनने पर रॉकी किसी तरह घीच - घाच कर मैट्रिक द्वितीय श्रेणी से पास किया। 

               यूं तो रॉकी पहले से नालायक था ही अब कुछ नालायक दोस्त और समाज के कुछ बड़े - बड़े प्रतिनिधि लोग के संगत में आ गया । ये प्रतिनिधि लोग इसका अच्छे से इस्तेमाल कर रहा है समाज में जितना भी गैर कानूनी काम होता था सब रॉकी के द्वारा करवाया जाने लगा । और देखते ही देखते ये नालायक खलनायक बन गया। आज का समाज इतना नीचे गिर चुका है किसी बिगड़े हुए बन्दे को सुधारना तो दूर , सुधरे हुए बन्दे को भी बिगाड़ने का काम करता है ये भ्रष्ट नेता और भ्रष्ट समाज।


              रॉकी का गांव के ही एक लड़का रामू से बहुत ही घनिष्ठ मित्रता था , यू तो रामू बहुत गरीब था लेकिन दोस्ती तो दोस्ती होता है कहा जाता है दोस्ती में अमीरी और गरीबी नहीं देखा जाता है। ऐसा एक भी दिन नहीं था जिस दिन रॉकी रामू के यहां जाता था , अधिकांश काम मिल जुलकर किया करता था, मित्रता में कहीं से कोई खोंट नहीं थी।एक पवित्र दोस्ती थी।

             लेकिन एक सुबह ऐसा भी आया जिस दिन आंखे खुलते ही गांव में एक ही न्यूज फैला हुआ था शेठ बलवंत सिंह का बेटा" रॉकिया.. जे हा..ऊ.. रामू के बहिन के ले..क भाग गेलाऊ"..। अब बेचारे रामू तो ठहरे खानदानी गरीब रामू के माता - पिता और रामू खुद भी सोचा अब तो भाग ही गया तो केस करने से कोई फायदा नहीं है और मन ही मन खुश था बस उपर से दिखावे मात्र का दुखी था इतना अमीर दामाद जो मिला था जो वो सपना में भी नहीं सोच सकता था । रामू की मां - बाप इस घटना से खुश ही थे चलो खर्च भी बच गया और रॉकी रूपी इतना अमीर दामाद भी मिल गया।

        किन्तु रामू की बहन रूपवती की उम्र अभी मात्र  चौदह वर्ष ही है और रॉकी भी मात्र सत्रह साल का ही है। दोनों नाबालिक ही है। गांव में किसी को कोई शंका ही नहीं था कि कोई इतना कम उम्र में इतनी बड़ी कदम उठाएगा। 

   बेचारी रूपवती नाम की तरह ही बेहद खूबसूरत थी मानो साक्षात् पड़ी हो लेकिन अभी वो भोली - भाली थी अभी उसके पास उतना समझ नहीं था। यूं तो रॉकी का भी उम्र ज्यादा नहीं था किन्तु ये धूर्त था । बैगैर सादी किए हुए बेचारी रूपवती को लगभग सात महीने तक रखा। शायद ये लोग फिर भी साथ रह लेते लेकिन रॉकी को घर से कहा जाता रहा उसे छोड़ दो और तुम थोड़ा दिन के लिए कहीं और चले जाओ। उस बेचारी गरीब को बलवंत सिंह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि गरीब घर की लड़की चटकोर होती है, कभी कुछ देखी नहीं होती है इतना धन देखेगी तो उलबुला जाएगी सब कुछ बिराह देगी और तो और बगल की थी इसलिए कोई उसे स्वीकार नहीं कर रहा था। 

           अब रॉकी का भी मन ढल चुका था वो भी अब वो रूपवती को मुंबई में ही छोड़ कहीं और निकल गया । अब बेचारी रूपवती बच गई अकेले वहां कोई उसे देखने वाला भी नहीं है, दर - दर की ठोकरें खा रही है , आंख में आंसू लिए दुखी मन से इधर से उधर भटक रही है , खैर भटकते - भटकते अचानक एक दिन गांव पहुंच गई वो भी बलवंत सिंह के यहां अब बेचारी रूपवती को कोई यहां रहने नहीं दे रहा है , अब रूपवती इस बात पे अरी हुई है कि हम यहां ही रहेंगे, लेकिन रॉकी की मां - बाप कह रही है " हमर.. बेटा अताऊ.. तब ही तोड़ा रखबाऊ.. नय.. त नाय.. रख बाऊ .. हमर.. बेटा.. रॉकीया.. के तू खा.. गैलही कहां हाय.. हमर बेटा पहले बतो.. मरवा देल.. ही.. हन आ हिया.. महतीन बने अल्ही हन ..!"

तमाम तरह का गाली गलौज हुआ रानी - बैठखौकी से लेकर वैश्या तक। एक भी इज्जत नहीं छोड़ा गया । मानो गाली के माध्यम से नखसिख वर्णन हो रहा हो।बेचारी रूपवती का सारा समान सड़क पर फेक दिया गया ।वो बैशाख का चिलचिलाती धूप में बेचारी रूपवती सड़क पर दिन भर बैठी रही कोई उसे देखने वाला नहीं है आखिरकार अंत में रूपवती की मां आईं और उसे ले गई , सच कहा गया है मां तो मां होती हैं मां की ममता के आगे संसार में सब फिका है , सच कहा जाय तो ये दुनिया बहुत जालिम है अंततोगत्वा अपने ही अपने होते हैं।

               गांव में हलचल मचा हुआ है कि रूपवती को न्याय मिलनी चाहिए जब भी राॅकिया.. आएगा उसे रूपवती को रखना पड़ेगा नहीं तो उसे काट कर फेंक दिया जाएगा इससे समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है बच्चे बिगड़ जाएंगे बलवंत सिंह का भात - पानी काट दिया जाएगा। अभी तक सब रूपवती के पक्ष में है । 

        अब रामू से रहा नहीं गया वो थाना में प्राथमिकी दर्ज करा दिया और बलवंत सिंह भी अपने बेटे को मरवाने के जुर्म में रूपवती पे केस ठोक दिया । अब क्या है पुलिस वालो को तो कमाई का स्रोत मिल गया , एक - एक कर दोनो पार्टी से अच्छे से लूटा , यू तो बलवंत सिंह को कोई फर्क नहीं पड़ा पर रामू का सारा जमीन बिक गया और वो सड़कों पर आ गया और मिला कुछ नहीं । यहां पैसों वालो के लिए कोई कानून ही नहीं है कानून तो गरीबों पर लागू होती है बेचारा रामू पूरी तरह से उजड़ गया बिख मांगने की नौबत आ गई। केस वापस ले लिया..!

          अभी भी रूपवती और रामू इस आस में है रॉकी आएगा और मुखिया और पंच रूपवती को न्याय दिला देंगे 

क्योंकि सारा गांव अभी रूपवती के पक्ष में ही है, लेकिन यहां पैसों के आगे सब बिक जाता है। बेचारे रामू को ये पता ही नहीं है कि 

"नफरतों के शहर में चालाकियों के डेरे है

यहां वे लोग रहते हैं जो तेरे मुंह पर तेरे है और मेरे मुंह पर मेरे है "

          

          कभी पंच परमेश्वर हुआ करते थे लेकिन अभी के दौर में पंच हरामेश्वर हो गए है। अब पंच में परमेश्वर का निवास नहीं है, अब पंच में हरामियों का निवास हो गया है।


         काफी लंबे समय तक इंतजार करने के बाद पता चला रॉकी दूसरा सादी कर लिया है अब रूपवती के देह पर मानो पहाड़ टूट गया हो। अब रूपवती की मां - बाप भी सोच रहे हैं इसका भी कहीं सादी कर देते है। लेकिन अब बेचारी रूपवती को कोई पूछने वाला नहीं है कोई इसके साथ संबंध करना नहीं चाहता है  सब बदचलन कह कर टाल देता है। काफी खोजबीन के बाद एक बूढ़ा कमल सिंह तैयार हुआ जिसकी उम्र रूपवती के पिता से भी ज्यादा था मानो उसकी एक पैर कब्र में थी कब टपक जाएगा इसकी कोई गारंटी नहीं थी उससे रूपवती की सादी तो हो जाती है, जब वो रूपवती को कुछ कहता था या उसके पास जाता था वो शर्म से सर झुका लेती थी कुछ बोलती ही नहीं थी , उसे अपने पिता की याद आने लगती थी चुकी वो उसके पिता समान थे। फिर भी रूपवती को कमल सिंह से एक बेटी होती हैं। 

             कुछ दिनों के बाद रूपवती के बूढ़े पति भी मर जाते है। उस पर से एक बेटी है मानो कोढ़ में खाज । अब बेचारी रूपवती करे तो करे क्या? अब रूपवती की ज़िन्दगी नरक से भी बदतर हो जाती है। लेकिन रूपवती की खूबसूरती अभी भी बरकरार है । अब रूपवती की विवाह फिर से अपने ही सौतेले बेटे मनोज से गांव वाले जबरन करवा देते हैं और ये अपमान वो सहन नहीं कर पाती है और आत्महत्या कर लेती है। और अपने पीछे एक नन्ही सी बच्ची को छोड़ जाती है अब उस नन्ही सी बेटी का भी ज़िन्दगी दाव पर लगा गया , अब इस बेचारी का क्या हाल होगा?

अभी रूपवती की उम्र मात्र  अठारह साल ही हुईं थी और क्या से क्या हो गया देखते - देखते !

         

     आज की युवतियों से मैं कहना चाहता हूं


                "  ऐसी रासलीला मत करो

जिससे जीवनलीला समाप्त करने की नौबत न आ जाय।"



                                                    सूर्यकांत सिंह

©Surya Kant singh #Rose#फर्जी मोहब्बत और समाज

#Rose

sidpoetryclub

कुछ कैदी बेकसूर हैं 
पर जमाने की अदालत
कसूरवार कर बैठी,
सारा कानून तो महिलाओं का है
उससे पूछो जो अपने बेकसूर 
बेटे को खो बैठी,
आस लगाए बैठी हे वो मां
कभी तो इंसाफ होगा
फैसला आने के बाद 
अब उम्मीद भी खो बैठी,
सदमा न सह सका बाप 
अब उसकी आत्मा भी 
उसको छोड़ बैठी,
नफरत है ऐसी लड़कियों से 
जो कुछ फायदे के लिए 
उसकी जिंदगी बरबाद कर बैठी

©Sidpoetryclub❤️💔 #Bishnu #कानून #अदालत #फर्जी #Case #गलत #उपयोग #कानून #का 

#Drops

Poetry with Avdhesh Kanojia

#फर्जी #किसान #गद्दार #RepublicDay #farmersprotest अक्षम्य अपराध . . . . . . . . करते रहे वे धूम्रपान बैठ विस्फोटक के पर्वत पर, निश्चित ही था फिर तो अग्निकांड। #कविता

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अक्षम्य अपराध
. . . . . . . . 

करते रहे वे धूम्रपान
बैठ विस्फोटक के पर्वत पर,
निश्चित ही था फिर तो
अग्निकांड। 
और यह अग्निकांड
झुका गया शीश लज्जा से 
पूरे भारतवर्ष का।
न करना
आस क्षमा की। 
अनन्तकाल तक
स्मरण रहेगा
तुम्हारा ये कुकृत्य।।

✍️अवधेश कनौजि

©Avdhesh Kanojia #फर्जी #किसान #गद्दार #RepublicDay #farmersprotest 
अक्षम्य अपराध
. . . . . . . . 

करते रहे वे धूम्रपान
बैठ विस्फोटक के पर्वत पर,
निश्चित ही था फिर तो
अग्निकांड।
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