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Best मानेगा Shayari, Status, Quotes, Stories

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Akash

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Trust me दहलीज़ से लौट आया जालिम
    हमारी नाजो हया ले कर ही मानेगा
       चला जाता तो इस कदर न टूटते
         अब ये दिल कोई बहाना नहीं मानेगा

Saurabh Suman

ये रूठना मनाना भी जान लेकर मानेगा,
इश्क़ है ये ज़माने में ज़माने से लड़वा के मानेगा।।
मोहब्बत रूहानी है जिस्मानी नहीं,
पाक मोहब्बत है ज़माने को झुका कर मानेगा।। #shamesukhan #RDV19 #Nojoto #kalakaksh #hindi #shayari #kavita #dil #ज़िन्दगी #ख़्वाब #चाँद #Nojotohindi #mohabbat #ishq #ख़्याल

Rishap Gautam

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अपना इनाम लेकर मानेगा....❤
ये इश्क है...जान लेकर मानेगा !
💔
Courtesy : Rishap Gautam

Xn Niku

इस जन्माष्टमी पर, मुझे पत्थर मान ही लिया तो खुदा कौन मानेगा ?
खुद को मुझ में ही छोड़ दिया इसे जुदा कौन मानेगा ?
तेरी भी साँसें बेफिक्र हो कर नहींं चलती मुझे,पता है
बेशक,तुने ही छीनी है जमैयत मेरी,इसे गुमशुदा कौन मानेगा ।।

_Xn.niku #xnniku#shayari#nojoto#com

Netish junior

#SAD chhod diye ho to bta do n masum sa h dil bina btaye janega kaise. #शायरी

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मानेगा कैसे ,,
तुम्ही बता दो ये मेरा दिल है मानेगा कैसे?
छोड़ दिये हो ,,
अगर छोड़ दिये हो तो बता दो न
मासूम है ये
बिना बताए जानेगा कैसे?? #sad chhod diye ho to bta do n 
masum sa h dil bina btaye janega kaise.

अभिमन्यु सिंह

अपना इनाम लेकर ही मानेगा..!

ये इश्क है जान लेकर ही मानेगा..!!

#अभी❤ #Nojotohindi

talvindra_writes

देखों आसमां में, ईद का चाँद आया हैं साथ में अपने, रिश्तों की सौग़ात लाया हैं । ख़ुदा, ना धन से मानेगा, ना धनवान से मानेगा सच्चे दिल से जो कर्म करेगा, वो उसकी बात मानेगा । चिराग़, तुम दिलों के जलाना, काफ़िर को दूर भगाना अपनों के साथ, अब हरदिन को तुम ईदगाह बनाना । #Eid #talvindra_writes

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देखों   आसमां  में, ईद  का  चाँद  आया  हैं
साथ  में  अपने, रिश्तों  की सौग़ात लाया हैं ।

ख़ुदा,  ना  धन  से  मानेगा,  ना  धनवान  से मानेगा
सच्चे दिल से जो कर्म करेगा, वो उसकी बात मानेगा ।

चिराग़,  तुम  दिलों के जलाना, काफ़िर को दूर भगाना
अपनों  के  साथ, अब  हरदिन को तुम  ईदगाह  बनाना ।

अब सारे गमों को, तुम अपनी जिंदगी से हटाना भुलाना
अपने-पराये  सबको, तुम सच्चे  दिल  से  गले  लगाना ।

खोलकर  अपनी  बाहें, तुम सबको गले लगाना 
अपने दुश्मनों को, तुम सदा के लिए भूल जाना ।

अपने  मंसूबो  को  तुम,  सदा   नेक   रखना
अपनी  ज़ुबा  को  तुम, अपने क़ाबू में रखना ।

ईद   का  चाँद  तुम्हें,  बस  इतना  बताने  आया  हैं,
अपने गिले-शिकवे भुलाकर, सबको गले लगाना हैं ।

ख़ुश  हो  हमसब,  देखकर  ईद  का  हिलाल
पोशाकें  पहनकर  हम,  सुनहरी-सफ़ेद-लाल ।

इस  शब-ए-रात  में,  तुम  भुलकर  कलाल 
न रखना दिल में कोई मलाल, फ़िर सबको कहना... ।

ईद मुबारक..........ईद मुबारक ।
talvindra_writes देखों   आसमां  में, ईद  का  चाँद  आया  हैं
साथ  में  अपने, रिश्तों  की सौग़ात लाया हैं ।

ख़ुदा,  ना  धन  से  मानेगा,  ना  धनवान  से मानेगा
सच्चे दिल से जो कर्म करेगा, वो उसकी बात मानेगा ।

चिराग़,  तुम  दिलों के जलाना, काफ़िर को दूर भगाना
अपनों  के  साथ, अब  हरदिन को तुम  ईदगाह  बनाना ।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 28 - स्पर्धा कन्हाई अतिशय सुकुमार है और सखाओं में सबसे अनेक विषयों में तो तोक से भी दुर्बल है, किन्तु हठी इतना है कि जो धुन चढेगी पूरा किये किये बिना मानेगा। सब खेलों में आगे कूदेगा भले वह इसके लिए बहुत कठिन हो। अब आज दाऊ ने लम्बी छलाँग का प्रस्ताव किया तो सबसे पहिले पटुका, वनमाला उतार कर दूर रखकर प्रस्तुत हो गया! अलकें तो इसकी सुबल ने समेट कर पीछे बॉंधी। 'कृष्ण! तू रहने दे!' भद्र ने कहा - 'तू यहां एक ओर बैठकर देख कि कौन कहाँ तक कूदता है। हममें-से किसी को निर्णय करने वाला भी

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|| श्री हरि: || 
28 - स्पर्धा

कन्हाई अतिशय सुकुमार है और सखाओं में सबसे अनेक विषयों में तो तोक से भी दुर्बल है, किन्तु हठी इतना है कि जो धुन चढेगी पूरा किये किये बिना मानेगा। सब खेलों में आगे कूदेगा भले वह इसके लिए बहुत कठिन हो।

अब आज दाऊ ने लम्बी छलाँग का प्रस्ताव किया तो सबसे पहिले पटुका, वनमाला उतार कर दूर रखकर प्रस्तुत हो गया! अलकें तो इसकी सुबल ने समेट कर पीछे बॉंधी।

'कृष्ण! तू रहने दे!' भद्र ने कहा - 'तू यहां एक ओर बैठकर देख कि कौन कहाँ तक कूदता है। हममें-से किसी को निर्णय करने वाला भी

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 26 - सेवा इस कन्हाई की सेवा ही सबसे अटपटा काम है। इसने तो जैसे छठी में से सीखा है कि सेवा इसी को करनी है - सबकी करनी है और इसकी सेवा करने का प्रयत्न करो तो ऐसे टरका देता है कि मत पूछो बात। धर-पकड कर इसकी सेवा करनी पड़ती है। नन्हा था तब से बाबा के कहने से पूर्व उनके वस्त्र लोटा या लकुट अथवा दोहनी सिर पर रख कर उसके पास पहुंचता था - 'बाबा! तुम स्नान करोगे? पूजा करोगे? गोचारण को जाओगे। गाय दुहोगे?' जब इसे जो सूझ जाय तब मानो बाबा को वही करना है। कोई ऋषि-मुनि या ब्राह्माण भवन में पध

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|| श्री हरि: ||
26 - सेवा

इस कन्हाई की सेवा ही सबसे अटपटा काम है। इसने तो जैसे छठी में से सीखा है कि सेवा इसी को करनी है - सबकी करनी है और इसकी सेवा करने का प्रयत्न करो तो ऐसे टरका देता है कि मत पूछो बात। धर-पकड कर इसकी सेवा करनी पड़ती है।

नन्हा था तब से बाबा के कहने से पूर्व उनके वस्त्र लोटा या लकुट अथवा दोहनी सिर पर रख कर उसके पास पहुंचता था - 'बाबा! तुम स्नान करोगे? पूजा करोगे? गोचारण को जाओगे। गाय दुहोगे?' जब इसे जो सूझ जाय तब मानो बाबा को वही करना है।

कोई ऋषि-मुनि या ब्राह्माण भवन में पध


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