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Mayaank Modi

मैने अरसा लगा दिया, 
तुझको पढ़ने में ।
आख़िरी पन्ने में जाना, 
के कहानी अधूरी है ।। #yqbaba #yqhindi #अरसा #पढ़ने #कहानी #पन्ने #अधूरी

OMG INDIA WORLD

#OMGINDIAWORLD 💞इंतजार से #थकी इन #आँखों मे,,, कुछ #ख्यालात चाहते हैं...💞 💞मेरी #नज्म को #पढ़ने वाले,,, #तुझसे एक #मुलाकात चाहते हैं..!!💞 #शायरी

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💞#इंतजार से #थकी इन #आँखों मे,,,
           कुछ #ख्यालात चाहते हैं...💞
💞मेरी #नज्म को #पढ़ने वाले,,,
            #तुझसे एक #मुलाकात चाहते हैं..!!💞

©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD 
💞#इंतजार से #थकी इन #आँखों मे,,,
           कुछ #ख्यालात चाहते हैं...💞
💞मेरी #नज्म को #पढ़ने वाले,,,
            #तुझसे एक #मुलाकात चाहते हैं..!!💞

Ravi Ranjan Kumar

#पढ़ने वाले घोंचू दिखते हैं ऐसा सोचने वाले भ्रम में जी रहें हैं #thinkdifferent 🤪

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mute video

Purnima bhardwaj (Poonam)

या तो #कुछ ऐसा  लिखें #जो 
#पढ़ने के क़ाबिल हो या  कुछ 
ऐसा करें जो #लिखने के #क़ाबिल हो ✍️

"हम ने पेड़ काटे, #कागज़ बनाने के लिए
फ़िर उसी पर लिख दिया "वृक्ष बचाओ"
 
-Purnima bhardwaj Understand to main point 👉

Tr. Kajal Parmar

ख़ास पल सपना था मेरा teacher बनने का,
पापा का सपना पूरा करने का,
पापा ने दिल पर पत्थर रखा और,
मुझे पढ़ने एक अंजान शहर में रखा,
एक 12वी पास लड़की थी मैं,
जब पढ़ने बाहर गयी थी मैं,
खूब की मेहनत, दिलोजान से,
पढाई की मैने बहोत ध्यान से,
हुआ मेरा इम्तेहान,
अब था परिणाम का इंतेज़ार
पता चला में हो गयी पास,
और पापा की आंखों में,
जो खुशी के आँसू थे
बस वही पल है
 मेरी जिंदगी में मेरे लिए खास।

😢😢👍👍 #खास #पल

-Kumar Kishan Krishan Kr. Gautam

#पढ़ने का कारण #कुमार

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तुम्हें जानता गर समझता
तो तुम्हे मैं पढ़ता कैसे..
क्यूं का तो सवाल था ही
मैं शहर में नया था
तेरे घर पर लगे टैग पर
नाम तेरा था...
शौक़ तो था नही
मगर मुझे तेरा नाम 
अधूरा सा लगा,
नाम ही था सो पूरा कर दूं
ख़याल अच्छा था
मगर तुम्हें पढ़ता न तो
ख़याल करता कैसे?
तुम्हें जानता गर समझता 
तो तुम्हें मैं पड़ता कैसे।

#कुमार किशन #पढ़ने का कारण

Amir Hamja

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🤣हास्य व्यंग्य🤣

जो करने गया था  काम  उसे  कमाई  मिल  गई
जो पढ़ने गया था  उसको  तो  पढ़ाई  मिल  गई
पढ़ने के साथ इश्क का बुखार जिसको चढ़ा था
डिग्री   के  साथ  उसको   तो   लुगाई  मिल  गई
               💐 अमीर हमज़ा💐

Sp Santosh Potliya

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ऋषि को चौदह साल की उम्र में ही पहला प्यार हो गया था| ऋषि उस समय आठवीं क्लास में था, उम्र कम थी लेकिन मॉर्डन ज़माने में लोग इसी उम्र में प्यार कर बैठते हैं|

ऋषि का ये पहला प्यार उसकी क्लास में पढ़ने वाली लड़की “नीलम” के साथ था| नीलम अमीर घराने की लड़की थी, उम्र यही कोई 13 -14 साल ही होगी और दिखने में बला की खूबसूरत थी| नीलम के पापा का प्रापर्टी डीलिंग का काम था, अच्छे पैसे वाले लोग थे|

ऋषि मन ही मन नीलम को दिल दे बैठा था लेकिन हमेशा कहने से डरता था| ऋषि के पिता एक स्कूल में अध्यापक थे| उनका परिवार भी सामान्य ही था इसीलिए डर से ऋषि कभी प्यार का इजहार नहीं करता था|

चलो इस प्यार के बहाने ऋषि की एक गन्दी आदत सुधर गयी| ऋषि आये दिन स्कूल ना जाने के नए नए बहाने बनाता था लेकिन आज कल टाइम से तैयार होके चुपचाप स्कूल चला आता था| माँ बाप सोचते बच्चा सुधर गया है लेकिन बेटे का दिल तो कहीं और अटक चुका था|

समय ऐसे ही बीतता गया…लेकिन ऋषि की कभी प्यार का इजहार करने की हिम्मत नहीं हुई बस चोरी छिपे ही नीलम को देखा करता था| हाँ कभी -कभी उन दोनों में बात भी होती थी लेकिन पढाई के टॉपिक पर ही.. ऋषि दिल की बात ना कह पाया|

समय गुजरा,,आठवीं पास की, नौवीं पास की…अब दसवीं पास कर चुके थे लेकिन चाहत अभी भी दिल में ही दबी थी|

आज स्कूल का अंतिम दिन था| ऋषि मन ही मन उदास था कि शायद अब नीलम को शायद ही देख पायेगा क्यूंकि ऋषि के पिता की इच्छा थी कि दसवीं के बाद बेटे को बड़े शहर में पढ़ाने भेजें|

स्कूल के अंतिम दिन सारे दोस्त एक दूसरे से प्यार से गले मिल रहे थे, अपनी यादें शेयर कर रहे थे| नीलम भी अपनी फ्रेंड्स के साथ काफी खुश थी आज..सब एन्जॉय कर रहे थे,, अंतिम दिन जो था लेकिन ऋषि की आँखों में आंसू थे|

ऋषि चुपचाप क्लास में गया और नीलम के बैग से उसका स्कूल identity card निकाल लिया| उस कार्ड पर नीलम की प्यारी सी फोटो थी| ऋषि ने सोचा कि इस फोटो को देखकर ही मैं अपने प्यार को याद किया करूंगा|

बैंक से लोन लेकर पिताजी ने ऋषि को बाहर पढ़ने भेज दिया| नीलम के पिता ने भी किसी दूसरे शहर में बड़ा मकान बना लिया और वहां शिफ्ट हो गए| ऋषि अब हमेशा के लिए नीलम से जुदा हो चुका था|

समय अपनी रफ़्तार से बीतता गया,, ऋषि ने अपनी पढाई पूरी की और अब एक बड़ी कम्पनी में नौकरी भी करने लगा था, अच्छी तनख्वाह भी थी लेकिन जिंदगी में एक कमी हमेशा खलती थी – वो थी नीलम।। लाख कोशिशों के बाद भी ऋषि फिर कभी नीलम से मिल नहीं पाया था|

घर वालों ने ऋषि की शादी एक सुन्दर लड़की से कर दी और संयोग से उस लड़की का नाम भी नीलम ही था| ऋषि जब भी अपनी पत्नी को नीलम नाम से पुकारता उसके दिल की धड़कन तेज हो उठती थी| आखों के आगे बचपन की तस्वीरें उभर आया करतीं थी| पत्नी को उसने कभी इस बात का अहसास ना होने दिया था लेकिन आज भी नीलम से सच्चा प्यार करता था|

एक दिन ऋषि कुछ फाइल्स तलाश कर रहा था कि अचानक उसे नीलम का वो बचपन का Identity Card मिल गया| उसपर छपे नीलम के प्यारे से चेहरे को देखकर ऋषि भावुक हो उठा कि तभी पत्नी अंदर आ गयी और उसने भी वह फोटो देख ली|

पत्नी – यह कौन है ? जरा इसकी फोटो मुझे दिखाओ

ऋषि – अरे कुछ नहीं, ये ऐसे ही बचपन में दोस्त थी

पत्नी – अरे यह तो मेरी ही फोटो है, ये मेरा बचपन का फोटो है,, देखो ये लिखा “सरस्वती कान्वेंट स्कूल” यहीं तो पढ़ती थी मैं

ऋषि यह सुनकर ख़ुशी से पागल सा हो गया – क्या है तुम्हारी फोटो है ? मैं इस लड़की से बचपन से बहुत प्यार करता हूँ

नीलम ने अब ऋषि को अपनी पर्सनल डायरी दिखाई जहाँ नीलम की कई बचपन की फोटो लगीं थीं| ऋषि की पत्नी वास्तव में वही नीलम थी जिसे वह बचपन से प्यार करता था|

नीलम ने ऋषि के आंसू पौंछे और प्यार से उसे गले लगा लिया क्यूंकि वह आज से नहीं बल्कि बचपन से ही उसका चाहने वाला था|

ऋषि बार बार भगवान् का शुक्रिया अदा कर रहा था!!

दोस्तों वो कहते हैं ना कि प्यार अगर सच्चा हो तो रंग लाता ही है| ठीक वही हुआ ऋषि और नीलम के साथ भी..

नवीन बहुगुणा(शून्य)

बचपन के आइने में सुदंर चहेरा देखा,बेटी बोझ नही एक नई सोच है

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बचपन के आईने में सुंदर सा चेहरा देखा,मैंने हर वक्त माँ के आंचल में प्यार का पेहरा देखा,खुसी मेरे होने की माँ की आंखों में थी,बाबा ने जब ये खबर फ़ोन पे सुनी थी,लोगो मे आस पास बस ये कानाफूसि हुई कि लड़की हुई है,मगर माँ बाबा के लिए मानो प्यार की उमंग जगी है,भाई ने भी खुसी के आँशु बहाये, मेरे बड़े होने तकमेरे लिए  सुंदर सपने सजाये,घर की सबसे प्यारी लाडली थी,नटखट मन भावली थी,अब थोड़ा बडी हुई तो भाई की उंगली और माँ बाबा का सहारा लेके चली,घर के आंगन में मानो जैसे खिल रही हो कोई सुदंर कली,अब थोड़ा और बड़ी हुई तो बाबा ने पढ़ने के लिए स्कूल भेजा, मुझे स्कूल जाते हुए गाउँ वालो ने देखा,बोले भाई सहाब बेटी को पढ़ा लिखा के क्या करना है, आखिर शादी होने के बाद चुलाचौका ही तो फूंकना है, तब बाबा ने पास बुलाया औरबड़े प्यार से  मेरी पीठ थापथपायी, और पूरे गाउँ को अपने पास बुला के ये बात बताई,बेटियों को पढ़ा लिखा के इनके मान बढ़ाना है, इन्हें शिक्षा जैसा हतियार देकर सशक्त और बहुत बडी कलेक्टर  साहिबा बनाना है,बाबा के आंखों में उस सपने को साकार होते देखा, जब में और बड़ी हुई तो मुझे पढ़ने के लिए शहर भेजा,पूरे गाउँ ने विरोध किया बेटी को घर से बहार मत भेजो, बाबा ने एक ही स्वर में कहा इनकी नंन्ही आंखों में सभी कामयाबी के सपने देखो, बेटे को शहर भेजना उस मे कोई बुराई नही, बस बेटी बड़ी क्या हुई उसे शहर भेजा तो सबके लिए परायी वही, दोनों मे कोई भेदभाव न हो तभी बेटी को पढ़ने भेजा, अगर उन्हें भी कुछ बनना है आगे जाके पढ़ लिख के वो सुनेहरा सपना देखा, बोझ नही है बेटिया ये तो घर का मान है, बेटो को जितना प्यार लाड़ दिया बेटी भी तो पिता का अभिमान है,तोड़ दो उन सभी कुनीतियों को जो बेटी को कमजोर बनाता है,हाथ मिलाओ सभी आज बेटे बेटीयों को साथ लेकर चले संकल्प भारत नया सजाता है, जय हिंद जय माँ भारती बचपन के आइने में सुदंर चहेरा देखा,बेटी बोझ नही एक नई सोच है

😎Mr.CSY😎

#OpenPoetry #क्लास में 3 तरह के #लोग आते है
1 ~ #पढ़ने_वाले 📙
2 ~ #गुमसुम रहने वाले😑
3 ~ ऒर जो #कसम खा के 🙄आते है
ना खुद #पढ़ेंगे 😋ना किसी को #पढ़ने 😌देंगे ।।
😎Mr.CSY😎 school life
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