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उसकी जुल्फों की छांव में सोए थे क्या, समुंदर सी उस

उसकी जुल्फों की छांव में सोए थे क्या,
समुंदर सी उसकी आंखो में खोए थे क्या।
क्या माजरा है आंखो सुर्ख लाल हैं तुम्हारी
सच बताओ उस बेवफा के लिए रोए थे क्या ?

ये दस्तूर है, कहीं खुशी तो कहीं गम है,
पलट के देख तो सही हंसने वालों की भी आंखे नम है,
सब कुछ तो किसी को भी हासिल नहीं,

उसकी जुल्फों की छांव में सोए थे क्या, समुंदर सी उसकी आंखो में खोए थे क्या। क्या माजरा है आंखो सुर्ख लाल हैं तुम्हारी सच बताओ उस बेवफा के लिए रोए थे क्या ? ये दस्तूर है, कहीं खुशी तो कहीं गम है, पलट के देख तो सही हंसने वालों की भी आंखे नम है, सब कुछ तो किसी को भी हासिल नहीं, #Poet #Dil #poem #Talk #nojotonews #baghi #dilbechara

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