आईने से छुपकर जो कनखियों की ओट में दागती हो सवालों के पैने तीर दिलबर-ओ...! अनुशीर्षक आईने से छुपकर जो कनखियों की ओट में दागती हो सवालों के पैने तीर दिलबर-ओ...! अठखेलियां जानलेवा हैं तुम्हारी, सुनो ओ अदा-अदब पोशीदा, महक बेला की माहरुं...