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उजाला ही उजाला रौशनी ही रौशनी है अँधेरे में जो त

उजाला ही उजाला रौशनी ही रौशनी है 

अँधेरे में जो तेरी आँख मुझ को देखती है 

अभी जागा हुआ हूँ मैं कि थक कर सो चुका हूँ 

दिए की लौ से कोई आँख मुझ को देखती है 

तजस्सुस हर उफ़ुक़ पर ढूँढता रहता है उस को 

कहाँ से और कैसी आँख मुझ को देखती है 

अमल के वक़्त ये एहसास रहता है हमेशा 

मिरे अंदर से अपनी आँख मुझ को देखती है 

मैं जब भी रास्ते में अपने पीछे देखता हूँ 

वही अश्कों में भीगी आँख मुझ को देखती है 

कहीं से हाथ बढ़ते हैं मिरे चेहरे की जानिब 

कहीं से सुर्ख़ होती आँख मुझ को देखती है 

दरख़्तो मुझ को अपने सब्ज़ पत्तों में छुपा लो 

फ़लक से एक जलती आँख मुझ को देखती है

©memes fan page #CityWinter #gajal #gazal
उजाला ही उजाला रौशनी ही रौशनी है 

अँधेरे में जो तेरी आँख मुझ को देखती है 

अभी जागा हुआ हूँ मैं कि थक कर सो चुका हूँ 

दिए की लौ से कोई आँख मुझ को देखती है 

तजस्सुस हर उफ़ुक़ पर ढूँढता रहता है उस को 

कहाँ से और कैसी आँख मुझ को देखती है 

अमल के वक़्त ये एहसास रहता है हमेशा 

मिरे अंदर से अपनी आँख मुझ को देखती है 

मैं जब भी रास्ते में अपने पीछे देखता हूँ 

वही अश्कों में भीगी आँख मुझ को देखती है 

कहीं से हाथ बढ़ते हैं मिरे चेहरे की जानिब 

कहीं से सुर्ख़ होती आँख मुझ को देखती है 

दरख़्तो मुझ को अपने सब्ज़ पत्तों में छुपा लो 

फ़लक से एक जलती आँख मुझ को देखती है

©memes fan page #CityWinter #gajal #gazal