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Swapnil Huddar
तुझं माझं भांडण, इतक्यात असं मिटतंय का ? आपण एका शहरात नाही, हे तुला पटतंय का ? असं निराळ्या शहरात राहणाऱ्यांनी भांडू नये, उगाच एकमेकांचा जीव वेशीला टांगू नये... प्रश्नांचा भडिमार तुझा, धड एक उत्तर देता येत नाही, इतका हतबल मी, तुला साधं मिठीत घेता येत नाही... मी जोवर पास नाही, तोवर मला दूर ही नको करू, बोलून टाक खदखद मनातली, अबोला हा नको धरू... एक दोन दिवस ठीक, तिसऱ्या दिवशी मन रमतंय का ? तुझं माझं भांडण लांबवणं, तुला नक्की जमतंय का ? स्वप्नील हुद्दार . ©Swapnil Huddar #CityWinter
Khushiram Yadav
ले रहा था मोहब्बत की चादर इश्क के बाजार से ।फिर भीड़ से आवाज आई, कफन भी लेते जाना अक्सर यार बेवफा होते है 😔🥀💔 ©Khushiram Yadav #CityWinter मोहब्बत की चादर 🥀
Drx Kumar pankaj
तेरी यादों में जो गुजरे हैं.... उन पलों का मैं.... हिसाब क्या लिखूँ.... तुम सब जानकर भी पूछ रही हो.... क्या है ये सब...???? चलो अब तुम ही बताओ.... इस सवाल का मैं..... जवाब क्या लिखूँ??....!! ©Drx punam rao #CityWinter
NAZAR
ज़रूरत से ज्यादा, खुद को लिया मैंने बदल है, क़ातिल हूँ मैं ,खुद का किया मैंने क़त्ल है,, आईना भी मुझे अब पहचानता नहीं , इस कदर खुद की मैंने बदल ली शकल है,, रिम्मी बेदी नज़र ©NAZAR #CityWinter#nazar#book#shayri#rimmi#badal#shakl
minakshi
बदनामी के छीटों से मत डरो, नाम बनाने के दौरान कई दफे बदनामी हांथ लगती ही है !! ©minakshi #CityWinter
Syed Masroor Hussain Kakakhail
"دنیا" ریا،فخر،تٙصٙنُّع ،مٙحض مُلٙمّٙع کاری کی رسیا یہ تارکِ اخلاص دنیا دنیاداری کی رسیا زر،اثر،منصب یہ حسب نسب کی دنیا ہردائرہ اختیار میں اجارہ داری کی رسیا ©Syed Masroor Hussain Kakakhail #CityWinter
siddiquii boy
jab neend mayassar na hui raat bhr fir yun hua ki hamne tanha karwte hain badli... ©siddiquii boy #CityWinter
The secret Diary
Soch se aazad hona hai, sanskaar se nahi. ©The secret Diary #CityWinter
Swapnil Huddar
माझ्या परतीच्या प्रवासात जेव्हा तुझं शहर लागतं... तिथे मी थांबतो थोडावेळ, आठवणींचा आपल्या मांडतो एक खेळ, घास अडल्यासारखा जसा भरल्या ताटावर, घुटमळत रहातो त्या स्टेशनच्या बाकावर, उगाच नंतर फिरून येतो आपल्या जागा, तुझ्या नसण्याचा जिवाला आणखी त्रागा, त्या गर्दीत पहात राहतो चेहरे निरखून, एक तरी चेहरा त्यातला यावा ओळखून, तुझं न येणं एव्हाना निश्चित झालं असतं, खोटं एखादं कारण ही देता आलं असतं, हताश होऊन निघताना मी एकदा वळायला हवं, तुझ्या शहरात मी आल्याचं तुला कळायला हवं, तू पुन्हा एकदा दिसावं, हेच तर मन मागतं, माझ्या परतीच्या प्रवासात जेव्हा तुझं शहर लागतं... स्वप्नील हुद्दार . ©Swapnil Huddar #CityWinter
Andlib Rana
न चांद निकला हैं आज , न सितारें हैं आसमा पर , न आज मौसम हैं प्यार का, न अब पहले जैसे बाहर हैं , न अब वक्त ही हैं बचा, न ही अब कोई गमखार हैं न चांद निकला हैं आज , न सितारें हैं आसमा पर , न आज पढूं में वो तेरी पुरानी गुफ्तेगु जाना, न आज फिर उदास होने का ,हां मुझे न मिले कोई बहाना, न चांद ही निकला आज, न सितारें हैं आसमा पर न आज फिर तू याद आया ,ना आज तुझे मोहब्बत हैं हमसे, न आज में भी में रह गई पहले जैसी,न आज तू भी तू रहा न अब कुछ रहा पहले जैसा, ना आज वो कल रहा, न आज वो तुम रहे, न चांद निकला हैं आज, न सितारे हैं आसमा पर ©Andlib Rana #CityWinter