कहानी और किरदार वो किरदार में कहानी सजा के रखता है वो झूठ भी ज़रा मुस्कुरा के रखता है मालूम है उसे लोग अड़ाते हैं टांग अपनी वो क़दमों को अपने इसलिए बचा के रखता है ज़रुरत अभी उसे हैं नहीं लेने देती वो हसरतों को यूंही दबा के रखता है देखकर जान लेना आसान ना होगा उसको वो आंसुओं को हंसी में छिपा के रखता है और हैरान है देखकर आमिल सब्र उसका वो गुस्से को भी सिखा के रखता है आमिल Wo kirdaar mai kahaani sajaa ke rakhta hai Wo Jhooth bhi zraa muskura rakhta hai Maloom hai use log adaate hain tang apni Wo qadmo ko isliye bacha ke rakhta hai Zarurate abhi use fursat lene nhi deti Wo hasrato ko yuhi dabaa ke rakhta hai