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इस तड़पन में है पीर पुरानी, आँखों में आँसू आ जाते ह

इस तड़पन में है पीर पुरानी, आँखों में आँसू आ जाते हैं।
रिसते बहते मन के छाले, हरदम ही तड़पाते हैं ।।
कैसे वक्त गुजर जाता है,समा नया दिखलाता है ।
अपनों के ही साये में रहकर, सपने क्यों छितरा जाते हैं।।

©Shubham Bhardwaj
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