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नये रास्तों पर कदम कौन रखेगा मेरे हाथ मे कलम कौन र

नये रास्तों पर कदम कौन रखेगा
मेरे हाथ मे कलम कौन रखेगा है।
कोई अपना होता, तो जंग आसान होती,
इन ज़ख्मो पे मरहम कौन रखेगा है।
वो पहले के लोग थे जो याद रखते हैं,
मेरे मरने का ग़म कौन रखेगा ।
और दुनिया जब अपनी औकात पे उतर आएगी,
मैं सोचता हूँ शरम कौन रखेगा  ।
शायद फिरका परस्त लोगो का होना ज़रूरी है,
अच्छा बताओ इल्म कम कौन रखेगा।
अब इस नए ज़माने मैं गुल्लक,
मैं , तुम, हम कौन रखेगा।
तुम क्या सोचते हो यूं ही बिक जाएगा अमान,
अपनी जेब मे इतनी रकम कौन रखेगा ।
by( Aman Azam)

©Aman Azam #Ghazal #poem #Poet  #kaunrkhega #kavita #like

#vacation
नये रास्तों पर कदम कौन रखेगा
मेरे हाथ मे कलम कौन रखेगा है।
कोई अपना होता, तो जंग आसान होती,
इन ज़ख्मो पे मरहम कौन रखेगा है।
वो पहले के लोग थे जो याद रखते हैं,
मेरे मरने का ग़म कौन रखेगा ।
और दुनिया जब अपनी औकात पे उतर आएगी,
मैं सोचता हूँ शरम कौन रखेगा  ।
शायद फिरका परस्त लोगो का होना ज़रूरी है,
अच्छा बताओ इल्म कम कौन रखेगा।
अब इस नए ज़माने मैं गुल्लक,
मैं , तुम, हम कौन रखेगा।
तुम क्या सोचते हो यूं ही बिक जाएगा अमान,
अपनी जेब मे इतनी रकम कौन रखेगा ।
by( Aman Azam)

©Aman Azam #Ghazal #poem #Poet  #kaunrkhega #kavita #like

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