जितनी प्यारी तू दिखती है किसी का भटकना लाज़िमी है, तू ख़ुदा की पूर्ण इक रचना मुझमे लाख कमी है, तुम आसमाँ हम तो बस ज़मी है, मैं रेगिस्तान सा तू सदाबहार की नमी है, तू ऐसी, जिससे हर किसी को होना इश्क़ लाज़िमी है, मैं जहाँ रहूँ ,लगे पतझड़ यही, तू जहाँ दिखे बसंत वही है, तुझमें हूँ कितना, ना जानु मैं पर मुझमें तू हर कही है.... जितनी प्यारी तू दिखती है किसी का भटकना लाज़िमी है, तू ख़ुदा की इक #पूर्ण रचना मुझमे लाख कमी है, तुम #आसमाँ हम तो बस #ज़मी है,