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शीर्षक - जाती नहीं बेकार कभी भी, की गई सच्ची मेहनत

शीर्षक - जाती नहीं बेकार कभी भी, की गई सच्ची मेहनत
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जाती नहीं बेकार कभी भी, की गई सच्ची मेहनत।
मिलता है फल जरूर, यदि की है दिल से मिन्नत।।
जाती नहीं बेकार कभी----------------------------।।

हमको बस ख्याल यही हो, काम बस बुरा नहीं हो।
लाता है बहार पसीना, आये चाहे कैसी भी मुसीबत।।
जाती नहीं बेकार कभी----------------------------।।

बोये कितने भी नश्तर,  लोग चाहे राहो- मंजिल में।
मिल जाती है मंजिल भी, हो चाहे किसी भी किस्मत।।
जाती नहीं बेकार कभी----------------------------।।

जीत तो होती है एक दिन, सच- ईमानदारी की ही।
मिलती है इज्जत सभी से, की हो यदि सच्ची मोहब्बत।।
जाती नहीं बेकार कभी----------------------------।।

बदनामी और हंसी करेंगे, देखकर तुमको अकेला।
हारे नहीं हिम्मत यदि तो, मिल भी जाती है जन्नत।।
जाती नहीं बेकार कभी----------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #ग़ज़ल_सृजन
शीर्षक - जाती नहीं बेकार कभी भी, की गई सच्ची मेहनत
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जाती नहीं बेकार कभी भी, की गई सच्ची मेहनत।
मिलता है फल जरूर, यदि की है दिल से मिन्नत।।
जाती नहीं बेकार कभी----------------------------।।

हमको बस ख्याल यही हो, काम बस बुरा नहीं हो।
लाता है बहार पसीना, आये चाहे कैसी भी मुसीबत।।
जाती नहीं बेकार कभी----------------------------।।

बोये कितने भी नश्तर,  लोग चाहे राहो- मंजिल में।
मिल जाती है मंजिल भी, हो चाहे किसी भी किस्मत।।
जाती नहीं बेकार कभी----------------------------।।

जीत तो होती है एक दिन, सच- ईमानदारी की ही।
मिलती है इज्जत सभी से, की हो यदि सच्ची मोहब्बत।।
जाती नहीं बेकार कभी----------------------------।।

बदनामी और हंसी करेंगे, देखकर तुमको अकेला।
हारे नहीं हिम्मत यदि तो, मिल भी जाती है जन्नत।।
जाती नहीं बेकार कभी----------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #ग़ज़ल_सृजन