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Gurudeen Verma
शीर्षक - चाहे अकेला हूँ , लेकिन नहीं कोई मुझको गम ------------------------------------------------------------------------- चाहे अकेला हूँ , लेकिन नहीं कोई मुझको गम। मैं मस्त हूँ अकेले में, लेकिन नहीं कोई मुझको गम।। चाहे अकेला हूँ , ------------------------------------।। जब कोई साथ नहीं दे, किस काम के हैं दोस्त हजार। नहीं है कोई दोस्त मेरा, लेकिन नहीं कोई मुझको गम।। चाहे अकेला हूँ , ------------------------------------।। बुलाते हैं अपने भी, जब हो कोई उनको मतलब। लेकिन नहीं वो साथ मेरे, लेकिन नहीं कोई मुझको गम।। चाहे अकेला हूँ , ------------------------------------।। करके देखा है प्यार भी, वो थे मगर सौदागर। काबिल चाहे उनके नहीं, लेकिन नहीं कोई मुझको गम।। चाहे अकेला हूँ , ------------------------------------।। मुझमें नहीं कोई कमी, हिम्मत है मुझमें जीने की। ख्वाब अगर कोई पूरा नहीं, लेकिन नहीं कोई मुझको गम।। चाहे अकेला हूँ , ------------------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #ग़ज़ल_सृजन
Gurudeen Verma
शीर्षक - दिल को सिर्फ तेरी याद ही, क्यों आती है हरदम ---------------------------------------------------------- दिल को सिर्फ तेरी याद ही, क्यों आती है हरदम। ऐसी क्या खूबी है तुझमें, भूले नहीं जो तुमको हम।। दिल को सिर्फ तेरी याद------------------।। जबकि हमसे रही नहीं, तेरी मोहब्बत अच्छी कभी। क्यों नहीं रखना चाहते फिर भी, दिल से दूर तुमको हम।। दिल को सिर्फ तेरी याद-----------------।। तेरी नजरों में हम तो, बदनाम बहुत है शहर में। बर्बाद तुमसे होकर भी, चाहते हैं क्यों तुमको हम।। दिल को सिर्फ तेरी याद-----------------।। मालूम है हमको यह भी कि, तू नहीं अब वैसी पवित्र। फिर भी क्यों कहते हैं अब भी,अपनी खुशी तुमको हम।। दिल को सिर्फ तेरी याद-------------------।। आये बहुत चेहरें जिंदगी में, जब जुदा हम तुमसे हुए। फिर भी मिटा नहीं पाये, दिल से तेरी चाहत को हम।। दिल को सिर्फ तेरी याद-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा ऊर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #ग़ज़ल_सृजन
Gurudeen Verma
शीर्षक- हो गए अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे -------------------------------------------------------- हो गए अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे। करता नहीं अब कोई बात, आखिर यहाँ क्यों मुझसे।। हो गए अब अजनबी-----------------------।। दौड़कर आते थे कल वो, देखकै मुझको लगाने गले। अब मोड़ लेते हैं राह वो, नहीं मिलने को क्यों मुझसे।। हो गए अब अजनबी------------------------।। कभी साथ उनका मैंने दिया था, और खुशी भी उनको। अब पूछते नहीं हाल मेरा वो, पास आकर क्यों मुझसे।। हो गए अब अजनबी------------------------।। मैं करता था दुहा हमेशा, उनकी खुशी- हंसी के लिए। लेकिन वो करते हैं नफरत, आखिर अब क्यों मुझसे।। हो गए अब अजनबी------------------------।। उनकी खबर सुनकर आया मैं, उनको लेने अपने घर। देखकर मुफलिसी मेरी, मिलाते नजर नहीं क्यों मुझसे।। हो गए अब अजनबी-------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #ग़ज़ल_सृजन
Gurudeen Verma
Red sands and spectacular sandstone rock formations शीर्षक- दिलावो याद मत अब मुझको, गुजरा मेरा अतीत तुम -------------------------------------------------------- दिलाओ याद मत अब मुझको, गुजरा मेरा अतीत तुम। पूछो बात मुझसे अब तो, सिर्फ मेरे आज की तुम।। दिलावो याद मत--------------------------।। मुझको नहीं मतलब उससे,जो कल मैंने किया यहाँ। मैं जी रहा हूँ अब कैसे, पूछो मुझसे यही आज तुम।। दिलावो याद मत-------------------------।। सितम गर मैंने किया है किसी पे , होगी उसकी कोई वजह। क्यों उससे नहीं पूछते, खता उसकी आखिर जाकर तुम।। दिलावो याद मत---------------------------।। नहीं है किसी का अहसान मुझ पे, जिन्दा हूँ मैं अपने दम पर। सिर्फ मुझमें ही नहीं तलाशों, गलतियां अब आखिर तुम।। दिलावो याद मत----------------------------।। मुझसे गुनाह सिर्फ यही हुआ है, मोहब्बत उससे की थी मैंने। उसका दामन छोड़ दिया क्यों, सच क्या है उससे पूछो तुम।। दिलावो याद मत---------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #ग़ज़ल_सृजन
Sneha Agarwal 'Geet'
बहुत रो लिए अब सम्भलकर के देखते हैं। खुद के लिए खुद को बदलकर के देखते हैं। इतनी बेईमानी भी ठीक नहीं है इस उम्र में, अब थोड़ा सा उस रब से डरकर के देखते हैं। सुना है, आज भी हमें वो बहुत याद हैं करते, तो कुछ दिन उसके शहर में ठहर के देखते हैं। वो हमनवां मेरा आज भी उतना ही नेक है, तो उसकी गलियों से गुजरकर के देखते हैं। उनके 'गीत' ग़ज़ल सब बड़े चाव से हैं सुनते, थोड़ा हम भी उन्हें आज सुनकर के देखते हैं। ©Sneha Agarwal 'Geet' #स्नेहा_अग्रवाल #sneha_geet #साहित्य_सागर #sahityasagar #रूबरू_है_जिंदगी #ग़ज़ल_सृजन
Sneha Agarwal 'Geet'
स्नेहा अग्रवाल ©Sneha Agarwal 'Geet' #सनेहा_अग्रवाल #sneha_geet #साहित्य_सागर #sahityasagar #ग़ज़ल_सृजन
Sneha Agarwal 'Geet'
दोस्ती में रंजिश वो कुछ ऐसे निभा गये। मरने से पहले वो हमारी मैयत सजा गये। ये मुहब्बत नहीं, ये इक साजिश थी उनकी, हमारी मौत से पहले, ये हमें वो बता गये। बेवफ़ा इश्क़ में उनके दूरियाँ तो लाज़मी थी, भरी महफ़िल में ये बात, हमें वो समझा गये। झूठ फरेब पर उनके ये दिल हँसता है आज, थे कितने नादाँ हम, जो अपनों से ही दगा गये। हमने 'गीत' ग़ज़लों में उन्हें बेवफा क्या कहा, छोड़ के सच्चा रिश्ता वो गैरों से इश्क़ जता गया। ©Sneha Agarwal 'Geet' #स्नेहा_अग्रवाल #sneha_geet #साहित्य_सागर #ग़ज़ल_सृजन #WalkingInWoods
Sneha Agarwal 'Geet'
महादेव की गौरी है वो। शंकर की पार्वती है वो। धरे जब रूप विकराल, रौद्र रूप काली है वो। बात हो सुहाग के मान की, दग्ध हुई अग्नि में सती है वो। आधे अंग में है समाहित, शिव की अर्द्धांगिनी है वो। गाऊँ मैं 'गीत' जिसके सदा, आदिशक्ति माँ भवानी है वो। ©Sneha Agarwal 'Geet' #स्नेहा_अग्रवाल #sneha_geet #साहित्य_सागर #ग़ज़ल_सृजन
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read moreSneha Agarwal 'Geet'
हम उनको अपना खुदा बताते हैं। और वो हमें खुद से खफ़ा बताते हैं। हम उनकी हर एक अदा पे मर मिटे, और वो हमें खुद से जुदा बताते हैं। इल्म नहीं है उन्हें हमारी चाहत का, तभी शायद वो हमें बेवफ़ा बताते हैं। तोहमत हम पर लगा बड़े खुश हैं वो, और सरेआम खुद को ग़मज़दा बताते हैं। लिखे कितने 'गीत' उनकी मोहब्बत में, और वो हर आखर को झूठा बताते हैं। ©Sneha Agarwal 'Geet' #स्नेहा_अग्रवाल #sneha_geet #साहित्य_सागर #ग़ज़ल_सृजन
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read moreSneha Agarwal 'Geet'
निगाहों ने मेरी ये मंजर सुबह - शाम देखा है। मुहब्बत में ए सनम, हमने कत्लेआम देखा है। राब्ता नही अब मेरा, इन इश्क़ की गलियों से, इन गलियों ने आशिकी को बदनाम देखा है। दफ़न हो जाती है मुहब्बत बेदर्द दिवारों में यहाँ, हमने पाक मुहब्बत का ये हश्र सरेआम देखा है। जो समझते थे इश्क़ को खुदा की इबादत कभी, उन आशिकों के हाथों में हुस्न का जाम देखा है। दूर तक जिनका वास्ता नहीं था शेरो शायरी से, आज गीत और गजलों में उनका नाम देखा है। ©Sneha Agarwal 'Geet' #स्नेहा_अग्रवाल #sneha_geet #साहित्य_सागर #ग़ज़ल_सृजन
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