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ग़ज़ल इश्क़ कर लिया हमने क्या ख़ता हमारी हैं जो खता ह

ग़ज़ल
इश्क़ कर लिया हमने क्या ख़ता हमारी हैं
जो खता  हमारी हैं वो खता तुम्हारी है

मिल गये यहाँ अपने दिल दिलो से क्या करते
ना खता हमारी है ना ख़ता तुम्हारी है

हम दुआए करते थे बारिसों के मौषम की
बारिसे   हमारी   है   ये  घटा  हमारी हैं

प्यार है नही अब तो खेल हैं तमाशा हैं
हाथ हैं मुनादी औऱ सब यहाँ मदारी हैं

जो दहेज में वर को गाड़ियां न दे पाया
उस गरीब  की यारो बेटियां कवारी हैं

तोड़ दी  गुलामी  की बेड़ियां  बहुत पहले 
भूख  से  गरीबी  से  अब  भी  जंग जारी हैं

अपने घर की बुलबुल को दूर कैसे   हम भेजें
हर तरफ  यहाँ अब तो फिर रहे शिकारी हैं

क्या लिखे ग़ज़ल कोई धरम को नही आता
बस ख़ुदा की नेमत अब ये ग़ज़ल हमारी हैं

धरम सिंहः

©kavi Dharmsingh Malviya #गजल_सृजन
ग़ज़ल
इश्क़ कर लिया हमने क्या ख़ता हमारी हैं
जो खता  हमारी हैं वो खता तुम्हारी है

मिल गये यहाँ अपने दिल दिलो से क्या करते
ना खता हमारी है ना ख़ता तुम्हारी है

हम दुआए करते थे बारिसों के मौषम की
बारिसे   हमारी   है   ये  घटा  हमारी हैं

प्यार है नही अब तो खेल हैं तमाशा हैं
हाथ हैं मुनादी औऱ सब यहाँ मदारी हैं

जो दहेज में वर को गाड़ियां न दे पाया
उस गरीब  की यारो बेटियां कवारी हैं

तोड़ दी  गुलामी  की बेड़ियां  बहुत पहले 
भूख  से  गरीबी  से  अब  भी  जंग जारी हैं

अपने घर की बुलबुल को दूर कैसे   हम भेजें
हर तरफ  यहाँ अब तो फिर रहे शिकारी हैं

क्या लिखे ग़ज़ल कोई धरम को नही आता
बस ख़ुदा की नेमत अब ये ग़ज़ल हमारी हैं

धरम सिंहः

©kavi Dharmsingh Malviya #गजल_सृजन