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Shilpa Yadav
Unsplash आजकल लिख रही हू मनमर्जियां अपनी सच कह नहीं सकती तो झूठ उधार लेती हूं बेशक मैं दर्द ए मुरीद सी भूल जाऊं खुदको अपने शब्दों से लोगों को सुधार देती हूं तरबियत इतनी कि तबियत खराब कर दूं कह दो जरा तो अपनी न सही दूसरों की भी जीवनी को पन्ने पर उतार देती हूं मैं वो शख्श हूं जिसका जमीर जिंदा है सच कह नहीं रकती तो झूठ उधार लेती हूं ©Shilpa Yadav #lovelife #गजल#गजल_सृजन #shilpayadavpoetry R Ojha Neel Vishalkumar "Vishal" Ravi Ranjan Kumar Kausik Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
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read morePrakash Vidyarthi
White "मन की आवाज़" अथवा :- गंगा सी दीवानी कीचड़ सा आंवारा प्यार की आदत उसने लगाई और आदि मैं हों गया। उसके मन की आवाज का बिग फैन विनय हों गया।। वो गंगा सी दीवानी स्वच्छ निर्मल नीर बहती जलधारा। मुझ कीचड़ सा आवांरा दीवाना संग मेल पर संशय हों गया।। मानो वो अमृत की पावन प्रीत प्याली मैं विष का मामूली । टुकड़ा का एक दूजे में लगा रासायनिक विलय हों गया।। दोस्ती उससे ऐसे हुई जैसे सुर ताल संगीत एक लय हों गया। कहीं रूठ न जाए मेरी छोटी मोटी । गलतियों से थोडा-सा भय हों गया।। सोचा था कभी फुर्सत में सुनाऊंगा उसे अपनी दास्तान,गज़ल,गीत,। कविता कहानी का दर्द भरा इंतेहां अग्नि परीक्षा प्यारा परिणाम।। पर दिल थम सा गया ,सुना जब उसका रिश्ता कही तय हों गया। मेरे गुमशुदे ईश्क प्रेम मोहब्बत के अन्तिम दृश्य का समय हों गया ।। प्यार के बाजारों में उसके सोने का दिल किसी क्रेता के नाम बय हो गया। रजिस्ट्री यानी बिक्री जोर बेईमानी तिलक दहेज़ भीं सब तय हों गया।। दावत दिया था भोज का उसने अपनी सजी महफिल में मुझे। पर मै शर्मिन्दा हों गया खुदको। हारते हुए गिरते हुए देखकर।। बाजीगर मैं बना बाजीगर पर कोई। और उसका विजय हों गया।। मूंह मीठा करने ही वाला था की । अचानक मुझे उल्टी कय हों गया।। डॉक्टर ने कहा ठीक हों जायेगा ये धीरे धीरे दिल का रोगी पागल प्रेमी।। इसका धड़कन बड़ा नाज़ुक हैं। कोमल हृदय सह मासूम हैं ।। इसे प्यार की खुराक की जरूरत हैं। क्योंकि इसके दिल जान मोहब्बत ।। प्रेमिका सपना का छय हों गया जैसे दिल का कोई पय हों गया।। शमा बांधकर महफिल में रंग जमाकर गाकर प्रेमगीत विद्यार्थी रो गया । कलप तड़पकर छुपा लिया अपने गम प्रकाश शिक्षा मन्दिर में कहीं खो गया।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi #sad_shayari #poetery #कविताएं #गजल_सृजन #गीतों
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read moreGurudeen Verma
White शीर्षक - आबाद मुझको तुम देखकर आज ----------------------------------------------------------------- आबाद मुझको तुम आज देखकर। लेने खबर मेरी तुम आ गए हो।। थकते नहीं अब तारीफ करते। मुझको बुलाने तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------------।। करते नहीं थे कल बात मुझसे। लगती थी बुरी मेरी गरज कल।। मेरा चमन जो महका है आज। खुशी बाँटने तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------।। समझा था कल क्यों कमजोर मुझको। मिलाया नहीं क्यों कल हाथ मुझसे।। मौजूद हैं आज मेरे सँग सितारें। मुझको मनाने तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------।। करते थे परदा कल क्यों मुझसे। बुलाया नहीं क्यों महफ़िल में मुझको।। बेताब हो आज सुनने को मुझको। हमको लगाने गले तुम आ गए हो।। आबाद मुझको तुम-----------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गजल_सृजन
Gurudeen Verma
शीर्षक- छोड़ दिया है मैंने अब,फिक्र औरों की करना ----------------------------------------------------------- छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना। औरों की फिक्र में बीमार, खुद अपने को करना।। छोड़ दिया है मैंने अब------------------।। सोचता हूँ मैं अब, अपनी खुशी के ही बारे में। मतलबी हैं यह दुनिया, इससे आशा भी क्या करना।। छोड़ दिया है मैंने अब--------------------।। दोस्त जिनको कहते थे हम, हो गए वो अब दुश्मन। ऐसे हो जब रिश्तें यहाँ, तारीफ़ किसी की क्या करना।। छोड़ दिया है मैंने अब------------------।। औरों के आशियानें जलाकर, करते हैं रोशन अपना घर। ऐसे लोगों से दया- धर्म की, उम्मीद कभी क्यों करना।। छोड़ दिया है मैंने अब-----------------।। किसने मुझे इमदाद दी है, जब था मैं मुफलिसी में। मुश्किल से आबाद हुआ हूँ , गुलाम नहीं खुद को करना।। छोड़ दिया है मैंने अब-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गजल_सृजन
ANURAG
हाल दिल का सुनाना चाहता था, तुम्हे अपना बनाना चाहता था, कब तलक छुपाऊं अपनी मोहब्बत, तुम्हे हाले दिल बताना चाहता था, शर्मो-हया से रुख पर जो बिखरी जुल्फें तेरी, उनको रुख से हटाना चाहता था, एक मुद्द्त से रहा प्यासा तेरी चाहत का, तुझको एक बार सीने से लगाना चाहता था, तुम मुझे ही चाहो और दुनिया भुला दो, जादू यह इश्क का चलाना चाहता था, तब तुम्हे दिल में बसा कर लिखी जो ग़ज़ल थी, अब उसे तुम्हे सुनाना चाहता हूँ। ©Prem_pyare #writer #गजल_सृजन #प्यार_का_एहसास
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read moreदीपक झा रुद्रा
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