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dharmsinghharisi4122
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kavi Dharmsingh Malviya

21 /06/1993

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kavi Dharmsingh Malviya

ग़ज़ल

जहाँ के साथ कभी यार चल सकोगे क्या
जहाँ बदल ही गया तुम बदल सकोगे क्या

बड़ा सुकून  मिला है  मुझें  गिराकर के
मुझे गिरा के यहाँ तुम सँभल सकोगे क्या

बुझा सके न कभी तुमको आधिं या तूफ़ा
चराग बन के हवाओ में जल सकोगे क्या

 सुना सकू  न तुझें लोरियां नहीं आती
ग़ज़ल सुना दे ग़ज़ल से बहल सकोगो क्या

 चले भी जाओ अकेले मगर  सुनो तुम भी  
मुसीबतों से अकेले निकल सकोगो  क्या 

कदम बड़ा के चले राह पे धरम अपनी 
हमारे साथ कभी तुम भी चल सकोगे क्या
धरम सिंहः

©kavi Dharmsingh Malviya #Tanhai
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kavi Dharmsingh Malviya

ग़ज़ल  
🖊️🖊️🖊️🖊️🖊️🖊️
दिवाना  ग़ज़ल का ग़ज़ल गा रहा है
  सफ़र में ग़ज़ल के मज़ा आ रहा हैं

जरूरत ही क्या है हमें मयकशी की
 ग़ज़ल का हमें अब नशा छा रहा हैं

जरा  तो  ठहर  जा बता तो ज़रा तू
अकेले  अकेले  किधर जा रहा  हैं

ख़ुशी की ख़ुशी का मज़ा आप जानों
गमों  का  ये मौषम हमें  भा  रहा  हैं

बशर को नहीं  हैं  मयस्सर निवाला
गमों को बशर  भूख  में  खा रहा  हैं

 नहीं दे  रहा जो  नज़र  से  दिखाई 
ग़ज़ल  में  हमें  वो नज़र आ रहा है

नही  पा  सका  हैं  धरम  प्यार तेरा 
 मिला गम  तेरा  तो सुक़ू पा रहा हैं
धरम सिंहः

©kavi Dharmsingh Malviya ग़ज़ल का दिवाना

#happycouple

ग़ज़ल का दिवाना #happycouple #शायरी

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kavi Dharmsingh Malviya

ग़ज़ल 
सोचा सब भी तुझे सोचता रह गया
तेरी  तस्वीर  को  देखता  रह  गया

इस  तरह  से  रही  दरमियां दूरियां
वो  वहाँ  रह  गया  मैं यहाँ रह गया

प्यार भी अब नही यार भी अब नही
दर्द ही तो  बचा  औऱ क्या रह गया

अक्स ओझल हुआ आँख से इस तरह
सामने  बस  मेरे  आईना  रह  गया

रात भर इक़ नज़र से थी नज़रे मिली
पास  आये  मगर  फासला रह गया

मिट गया प्यार दिल से बता क्या कहूँ
प्यार के  नाम  पर  हादसा रह गया

एक अरसा हुआ तुमसे  बिछड़े हुए
राह तकता  तेरी  हमनवां  रह गया

याद  करते  रहो आप उसको धरम
बस यहाँ याद का सिलसिला रह गया
धरम सिंहः

©kavi Dharmsingh Malviya #couplefight
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kavi Dharmsingh Malviya

ग़ज़ल

फूल  है  प्यार मगर खार  बना देते है
लोग चाहत को भी व्यापार बना देते है

इसलिए आज हमी से तो ख़फ़ा है दुनिया 
जो  भी  मिलता है  उसे  यार बना देते है

हम सुख़नवर है हुनर अपना पता है हमको
आँख  के  अश्क़  को  अंगार  बना  देते है

क्या कहे यार सियासत की करामत तुमसे
अच्छे  इंशा को  भी  बीमार   बना  देते है

यूँ न इतराये भला आज चमन से कह दो
हम तो पतझड़ को भी गुलज़ार बना देते है

बात अपनी जो कभी यार अना की आये
एक तिनके को भी तलवार बना देते है

कोई  आता है यहाँ प्यार दिलों में लेकर 
 अपनी बाहों को भी हम  हार बना देते है

है लिखी जिसने भी तारीख लहू से अपने
उन शहीदों को भी अखबार बना देते है

दुश्मनी प्यार से दुनिया को धरम है इतनी 
 प्यार   के  रस्ते   में  दीवार  बना  देते है
धरम सिंहः

©kavi Dharmsingh Malviya #CityWinter
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kavi Dharmsingh Malviya

ग़ज़ल 
न चाहत न वादे  वफ़ा जानता हैं 
न शोख़ी नज़ाक़त अदा जानता हैं

नहीं  जानता  यार करना मुहब्बत
बता तो ज़रा फिर तू क्या जानता हैं

जिगर  है  हमारा ये नादान  बच्चा
फ़रेबी  वफ़ा  ना  दगा   जानता हैं

हक़ीक़त में है किसकी तरवीर कैसी
 छुपा ले बशर आईना जानता हैं

उठाकर  गिराना गिराकर उठाना 
ख़ुदा का करिश्मा ख़ुदा जानता हैं

यहाँ कौन है जिसमे नहीं है बुराई
मुझे ही जहाँ  पर  बुरा  जानता हैं

पहुँचता सभी की नज़र से दिलों तक 
 यहाँ प्यार दिल का  पता जानता हैं

बड़ा शौक है दिल दुखाने का तुझको
दिलों को दुखा पर सज़ा जानता हैं

सुनों यार नादा धरम को न समझो
 धरम  दर्द का भी मज़ा जानता हैं

धरम सिंहः

©kavi Dharmsingh Malviya #sushantsingh
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kavi Dharmsingh Malviya

ग़ज़ल 
यार  अपना   बनाकर   ज़रा देखिए
आप भी दिल लगाकर ज़रा देखिए

दर्द ख़ुद ही  दवा  यार  बन जाएगा 
दर्द  में   मुस्कुराकर   ज़रा   देखिए

आज पत्थर  भी  बन जाएँगे  देवता 
प्यार में सिर झुकाकर  ज़रा देखिए

प्यार ही प्यार है हर ज़गह हर कहीं
आप  नज़रे  उठाकर  ज़रा  देखिए

 राह की  खत्म होगी सभी   तिरंगी 
दीप दिल  के जलाकर ज़रा देखिए

रात  रंगी बना   दूंगा   तेरी   कसम 
पास अपने   बुलाकर  ज़रा  देखिए

लोग  हँसने  लगेंगे  धरम  आप पर
हाल दिल का बताकर ज़रा  देखिए
धरम सिंहः

©kavi Dharmsingh Malviya
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kavi Dharmsingh Malviya

ग़ज़ल

प्यार की   देंगे   दुहाई  देखना 
तुम हशीनो की सफाई  देखना

देखना दिल में हमारे झाँककर
ज़ख़्म भी देंगे  दिखाई  देखना 
 
हाँ चलेगा जब मुकदमा प्यार पर
अश्क़   भी  देंगे  गवाही   देखना

पाक दिल हो और नीयत नेक हो
आसरा   देगी   ख़ुदाई    देखना

 प्यार की ख़िदमत करो पर सोच लो
अश्क़  की  होंगी  कमाई  देखना

बेटियों पर ज़ुल्म करना छोड़ दो
राखी को  तरसे  कलाई  देखना

लफ़्ज़  में  आँसू  छुपे  मेरे  धरम 
शेर  मेरे    उर   रुबाई    देखना 

धरम सिंहः

©kavi Dharmsingh Malviya
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kavi Dharmsingh Malviya

वन्दना -गीत 
क्रोध मोह  छल  छदम  तजूँ मैं ,  गीत  प्रेम   के   गाऊँ मैं
तिरस्कार पाया जग  से पर  , सब    पर  प्रेम   लुटाऊ  मैं
ईर्ष्या करूँ न द्वेष करूँ मैं ,न  ही  कभी   अभिमान  करूँ
 हंसवाहिनी   वर  देना   मैं  , सबका   ही  सम्मान   करूँ

देखो कर्म धरा पर माता ,अब  जाने  क्या  क्या होता
झूठ हँसे दिल खोल  यहाँ  पर,  सच  बैठा  बैठा रोता
धन दौलत के मद में पापी,जन जन का रक्त बहाते है
नर  के  रूप मे  दुष्ट  यहाँ  पर , पापाचार   मचाते  है
आओ माँ हे पाप  नाशनी , मैं  तेरा   आभान   करूँ
हंसवाहिनी  वर  देना  मैं ,  सबका  ही  सम्मान  करूँ

देह  प्राण   को  छोड़ेगी  तब,  दुनिया  नाते   तोड़ेगी
तुम मुझको पकड़े रहना माँ, दुनिया  मुझको छोड़ेगी
कोई जब न सुनेगा मुझको माँ, तब  मैं तुझे पुकारूंगा
जग अनदेखा करेगा मुझको मैं ,तेरी  औऱ  निहारूँगा
तेरा दर्शन हो आँखों को, मैं जब जग से  प्रथान करूँ
हंसवाहिनी  वर  देना  मैं , सबका   ही  सम्मान  करूँ
धरम सिंहः

©kavi Dharmsingh Malviya
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kavi Dharmsingh Malviya

ग़ज़ल

हमसफ़र वो कभी भी बना ही नहीं
साथ  मेरे  कभी  वो  चला  ही नहीं

पाक रिश्ते  मोहब्बत  के  कैसे बनें
आदमी मिल गया मन मिला ही नही

वो ख़ता कह  रहा है जहाँ अब जिसे
इस जहाँ  में  कभी वो ख़ता ही नहीं

प्रेम  की  आस  में  मैं भटकता रहा
प्रेम दुनिया से हमको मिला ही नहीं

आप खुद को कभी क्यों नहीं देखते
क्या  तेरे घर अभी आईना  ही नहीं

जी  बहुत  चाहता  छोड़ दूं ये जहाँ
छोड़ने  का  मुझे  हौशला  ही  नहीं

उस मका पर गिरीं बिजलियां भी सुनो
जो  मका  भी  मुकम्मल बना ही नहीं

खोजते  सब  वहाँ मेरे  नक्शे क़दम
यार जिस  राह  पर मैं चला ही नहीं

उस कली पर  लगी तोहमतें भी बहुत
जिस कली से कभी गुल खिला ही  नहीं

इस जहाँ  ने  यहाँ  यार वो भी सुना
जो अभी तक धरम ने कहा ही नहीं
धरम सिंहः

©kavi Dharmsingh Malviya ग़ज़ल

#WinterEve
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kavi Dharmsingh Malviya

ग़ज़ल
दिवाने सभी घर  चले जा  रहे हैं
मुहब्बत से तौबा  करे  जा रहे हैं

बताओ तो कैसे करे हम मुहब्बत
मुहब्बत में हम तो छले जा रहे हैं

हसीनों ने तोफा दिया कुछ तरह से
दिवाने   तो   आहे भरे  जा रहें हैं

करें रिन्दगी इस तरह से सियासत
सियासत में काटे गले  जा रहें  हैं

कलम ने दिला दी हमें आज शोहरत
यहाँ लोग  हमसे जले जा  रहें  हैं

धरम तुम कभी न उनको भुलाना 
तुम्हारे  लिए  जो  मरे  जा रहे हैं

धरम सिंहः( धरम)

©kavi Dharmsingh Malviya गजल

#Rose

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