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सुबह तेरे संग उठना है सांझ बन तेरे संग ढलना है भी

सुबह तेरे संग उठना है
सांझ बन तेरे संग ढलना है

भीतर गहरे तक सुकून है तेरे होने में
अब डरता है दिल तुझसे दूर होने में

सब्र करना सीख रहा हूं
मिश्री सा घुलना सीख रहा हूं

©Manish Sarita(माँ )Kumar
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