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ग़ज़ल :- बगावत गुलामी अब बगावत चाहती है, ज़ुल्म स

ग़ज़ल :- बगावत

गुलामी अब बगावत चाहती है,
ज़ुल्म से ये अदावत चाहती है।

कहां महफूज़ अस्मत बेटियों की?
दरिंदों से हिफ़ाज़त चाहती है।

कभी इंसाफ़ में देरी न होगी,
वो तो ऐसी अदालत चाहती है।

लुटी इज़्ज़त धर्म जाती न पूछो?
न ज़ख्मों पे सियासत चाहती है।

सताया है जहां वालों ने जी भर,
न और अब वो अज़ीयत चाहती है।

किया इंसानियत को दागदार है,
न आने अब मुरव्वत चाहती है।

बहुत सौदे हुए मेरी कब्र पर,
न तनुजा अब इनायत चाहती है।।

अर्चना तिवारी तनुजा ✍️

©Archana Tiwari Tanuja
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07/06/2023

ग़ज़ल :- बगावत
वज़न :- 1222 1222 122

#Bagawat #janjeer Nojoto #nojotohindi #hindiwriters #gazal #MyThoughts #viarl #dharm #Jati 07/06/2023 ग़ज़ल :- बगावत वज़न :- 1222 1222 122 #शायरी

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