Nojoto: Largest Storytelling Platform

कन्यादान हुआ जब पूरा, आया समय विदाई का ।। हँसी ख़ु

कन्यादान हुआ जब पूरा, आया समय विदाई का ।। हँसी ख़ुशी सब काम हुआ था, सारी रस्म अदाई का ।
बेटी के उस कातर स्वर ने, बाबुल को झकझोर दिया।। पूछ रही थी पापा तुमने, क्या सचमुच में छोड़ दिया ।।
अपने आँगन की फुलवारी, मुझको सदा कहा तुमने।। मेरे रोने को पल भर भी, बिल्कुल नहीं सहा तुमने।।
क्या इस आँगन के कोने में, मेरा कुछ स्थान नहीं ।। अब मेरे रोने का पापा, तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं । ।
देखो अन्तिम बार देहरी, लोग मुझे पुजवाते हैं ।। आकर के पापा क्यों इनको, आप नहीं धमकाते हैं।।
नहीं रोकते चाचा ताऊ, भैया से भी आस नहीं । । ऐसी भी क्या निष्ठुरता है, कोई आता पास नहीं । ।
बेटी की बातों को सुन के, पिता नहीं रह सका खड़ा।। उमड़ पड़े आँखों से आँसू, बदहवास सा दौड़ पड़ा।।
कातर बछिया सी वह बेटी, लिपट पिता से रोती थी।। जैसे यादों के अक्षर वह, अश्रु बिंदु से धोती थी।।
माँ को लगा गोद से कोई, मानो सब कुछ छीन चला ।। फूल सभी घर की फुलवारी से कोई ज्यों बीन चला।।
छोटा भाई भी कोने में, बैठा बैठा सुबक रहा ।। उसको कौन करेगा चुप अब, वह कोने में दुबक रहा ।।
बेटी के जाने पर घर ने, जाने क्या क्या खोया है ।। कभी न रोने वाला बाप, फूट फूट कर रोया है..

©Riya Singh
  #chai beti ki kahani meri zubani
#beti #Betiyan #BetiBachao #BetiBachao #Beti💖 #betia #BETIPADHAOBETIBACHAO #BetiHuiHai #dard💔