Nojoto: Largest Storytelling Platform

नौकरी कब सौंख से जरूरत बन गई पता ही नहीं चला निकल

नौकरी कब सौंख से
 जरूरत बन गई पता ही नहीं चला
निकले थे घर से सौंख पूरे करने
अब तो जिम्मेदारियां इतनी बड़ी हो गई है
की जरुरते भी पूरी नही हो पाती
 मन करता है वापस उम्र कम हो जाए
बैठ जाए पापा के कंधे पर और
 अपनी ख्वाहिश पूरी कराए
छुप जाए मां के आंचल मे
और सारी दुनिया की शिकायते उनसे लगाएं 
कितनी हसीन थी जिंदगी
जब हमे सौंख नही था कमाने का
नौकरी की आपाधापी में अब सिमट कर रह गया
सौंख पूरा क्या होता, खुद के लिए समय भी घट गया
स्वाति की डायरी ✍️

©Swati Tiwari
  #नौकरी #सौंख #शौख #पापा #मां
#जरूरत #सपने