Nojoto: Largest Storytelling Platform

कैसे कह दूँ की सब कुछ बेदाग़ है खून नहीं फिर भी ह

कैसे कह दूँ की सब कुछ बेदाग़ है 
खून नहीं फिर भी हाथ दोनों लाल है!! 
कैसे कह दूँ कुछ अच्छे का हकदार मैं
कमीज पर बस अश्कों के हि दाग़ है!! 

रंग मंच पर मुझको सिर्फ़ गुमान था 
जाने मुझमें बसा कितना किरदार था !! 
जिया उस दर्द को फ़िर मुझे होश हुआ 
तब सुझा मुझमें कितना अहंकार था !! 

जाने कैसे मुझको वो अंधकार ही भाया
याद है तब सबने मुझको ही समझाया
कितना खुश था खुद के भ्रम माया में
सबने मुझको अच्छा रास्ता ही दिखाया

मन का होने से जिसने भी इनकार किया 
जिसके मन मे बैठा उसको मैंने दूर किया !! 
किसी बातों पर मुझको एतबार नहीं था 
सृजन रूपी हृदय को कितना घात किया ।। 

कैसे कह दूँ ख़ुद से की हाल बेहाल है 
ख़ुद के कर्मो का मुझे कितना मलाल है!! 
अब कहता हूँ की बिल्कुल बेदाग़ नहीं हूँ मैं 
खून नहीं फिर भी मेरे हाथ दोनों लाल है!!

©theABHAYSINGH_BIPIN
  #Apocalypse