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आज कुछ लिखने को नहीं । बस फ़िज़ाओं को, महसूस कर रहा

आज कुछ लिखने को नहीं ।
बस फ़िज़ाओं को, 
महसूस कर रहा हूँ ।
जेब में खयालों की, 
खनक लिए चलता हूँ ।
देखता हूँ, सोचता हूँ, आगे बढ़ता हूँ ।
मेरी कश्ती भी खाली पड़ी है ।
न कोई यात्री है,
न कोई खेवट है ।
पतवार का सहारा लिए,
किनारे खड़ा हूँ ।
चलो लहरों संग ही हो लूं,
क्या पता खेते हुए 
वो किनारा ढूंढ़ लूं ।
जहाँ डूब कर वो सूरज,
अपनी महफ़िल सजाता है ।
टूटे तारों के जाम बनाता है । लिखने की चाहत

#CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi #Poem #Poetry #YoPoWriMo #Hindi #हिंदी #कविता #कवि #लेखन #कश्ती #पतवार #खयाल #फिजाएं #कलम
आज कुछ लिखने को नहीं ।
बस फ़िज़ाओं को, 
महसूस कर रहा हूँ ।
जेब में खयालों की, 
खनक लिए चलता हूँ ।
देखता हूँ, सोचता हूँ, आगे बढ़ता हूँ ।
मेरी कश्ती भी खाली पड़ी है ।
न कोई यात्री है,
न कोई खेवट है ।
पतवार का सहारा लिए,
किनारे खड़ा हूँ ।
चलो लहरों संग ही हो लूं,
क्या पता खेते हुए 
वो किनारा ढूंढ़ लूं ।
जहाँ डूब कर वो सूरज,
अपनी महफ़िल सजाता है ।
टूटे तारों के जाम बनाता है । लिखने की चाहत

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