Nojoto: Largest Storytelling Platform

मोक्ष (दोहे) मोक्ष मिले कैसे यहाँ, भटक रहा इंसान।

मोक्ष (दोहे)

मोक्ष मिले कैसे यहाँ, भटक रहा इंसान।
भव सागर में हैं पड़े, अंत समय व्यवधान।।

मोह छूटता है नहीं, भव सागर से आस।
कर्म किये जो उम्र भर, लगते वो ही खास।।

मोक्ष चाहता जो अगर, आसानी से जान।
सत्कर्मों में डूब लो, होगी तब ही शान।।

सत्कर्मों में हैं लगे, देखो कुछ इंसान।
मोक्ष प्राप्त होता तभी, जब चाहें भगवान।।

सत्कर्मों से हैं सुखी, जीवन सरल स्वभाव।
जिसे मोक्ष की लालसा, नहीं रहे दुर्भाव।।

उनकी मर्जी के बिना, हिल न सके है पात।
मोक्ष उन्हें देखो मिले, जिनमें हो जज्बात।।

भुगत रहीं हैं योनियाँ, सभी कर्म अनुसार।
मोक्ष की इसी चाह ने, बदल दिया व्यवहार।।
...........................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #मोक्ष #दोहे #nojotohindi 

मोक्ष (दोहे)

मोक्ष मिले कैसे यहाँ, भटक रहा इंसान।
भव सागर में हैं पड़े, अंत समय व्यवधान।।

मोह छूटता है नहीं, भव सागर से आस।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

New Creator

#मोक्ष #दोहे #nojotohindi मोक्ष (दोहे) मोक्ष मिले कैसे यहाँ, भटक रहा इंसान। भव सागर में हैं पड़े, अंत समय व्यवधान।। मोह छूटता है नहीं, भव सागर से आस। #Poetry #sandiprohila

792 Views