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"दुनिया झूठ की" गिने चुने लोग मिलते हैं यहाँ सच क

"दुनिया झूठ की"

गिने चुने लोग मिलते हैं यहाँ सच के नुमाइंदे,
बाकी तो जहांँ नजर डालो झूठे लोग ही मिलते हैं,
दुनिया झूठ की है, झूठ ही है जैसे यहाँ सब का मंत्र, 
अपने स्वार्थ के लिए बोल देती है झूठ यहाँ हर एक की जुबान। 

दुनिया हो गई है आज दो मुखोटे वाली,
अपना सच्चा चेहरा छुपा के दिखाते हैं यहाँ झूठा चेहरा, 
सच को दबा देता है यहांँ झूठ के तले, 
कितना गिर गया है आज इंसान के, 
बोलता है हर एक पल में झूठ ही झूठ। 

झूठ से मिलती है खुशियां और जो तुम चाहो,
लेकिन सिर्फ कुछ वक़्त के लिए ही, 
अखिर मे सच सामने आ ही जाता है, 
और खो देता है वह इंसान जो झूठ से पाया था। 

दुनिया झूठ की है फिर भी सच जिंदा है आज भी, 
सच की बुनियाद से ही टिका है आज दुनिया का वज़ूद, 
अपवाद स्वरूप होता है ये झूठ, 
लेकिन सच तो हमेंशा ही अमर होता है। 

-Nitesh Prajapati 




 रचना क्रमांक :-24    26/04/2022

#kkrदुनियाझूठकी
#collabwithकोराकाग़ज़
#रमज़ानकोराकाग़ज़
#kkr2022
#कोराकाग़ज़
#kkrnitesh
"दुनिया झूठ की"

गिने चुने लोग मिलते हैं यहाँ सच के नुमाइंदे,
बाकी तो जहांँ नजर डालो झूठे लोग ही मिलते हैं,
दुनिया झूठ की है, झूठ ही है जैसे यहाँ सब का मंत्र, 
अपने स्वार्थ के लिए बोल देती है झूठ यहाँ हर एक की जुबान। 

दुनिया हो गई है आज दो मुखोटे वाली,
अपना सच्चा चेहरा छुपा के दिखाते हैं यहाँ झूठा चेहरा, 
सच को दबा देता है यहांँ झूठ के तले, 
कितना गिर गया है आज इंसान के, 
बोलता है हर एक पल में झूठ ही झूठ। 

झूठ से मिलती है खुशियां और जो तुम चाहो,
लेकिन सिर्फ कुछ वक़्त के लिए ही, 
अखिर मे सच सामने आ ही जाता है, 
और खो देता है वह इंसान जो झूठ से पाया था। 

दुनिया झूठ की है फिर भी सच जिंदा है आज भी, 
सच की बुनियाद से ही टिका है आज दुनिया का वज़ूद, 
अपवाद स्वरूप होता है ये झूठ, 
लेकिन सच तो हमेंशा ही अमर होता है। 

-Nitesh Prajapati 




 रचना क्रमांक :-24    26/04/2022

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#रमज़ानकोराकाग़ज़
#kkr2022
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