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मेरा शहर मेरा मेरा सा क्यूं नहीं है ... *********

मेरा शहर मेरा मेरा सा क्यूं नहीं है ... 
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मेरे चारों तरफ अंधेरा अंधेरा सा क्यों है ..... 
मेरे सर के ऊपर  सूरज  अभी तो ठहरा ठहरा सा है .... 

मेरा शहर मेरा मेरा सा क्यूं नहीं है ... 
हर बचपन की निशानियां विलीन विलीन सा क्यूं है ,....

मेरे दोस्त आजकल मिलते नहीं नुक्कड़ पर आवारगी करते ....
ये सब नालायक  सुधर सुधर सा क्यूं गए हैं .....

जो मेरे लिये कभी लड़ा करते  थे ....
अब उन्हें मिलने की फुर्सत फुर्सत क्यूं नहीं है .....

मेरे जो थे अपने कितने बदले बदले से लग रहें हैं .... 
यहां अब अपने अपने से क्यूँ नहीं है
.....

अपने , रिश्ते , नाते ,दोस्त-वोसत बेवजह अब मिलते नहीं हैं .... 
उनके फुर्सत के पल खोया खोया सा क्यूं है.... 

मेरे शहर की गलियां सुनी सुनी तो नहीं है .... 
भीड़ बहुत है पर सब अनजान अनजान सा क्यूं है .... 

वो पुरानी अटखेलियां , शरारते , मस्तीया , खुशियां मिल क्यूं नहीं रहीं है....
ये सभी किधर किधर चले गए मेरे शहर में अब क्यों नहीं है ....

मेरे चारों तरफ अंधेरा अंधेरा सा क्यूं है .... 
मेरे सर के ऊपर सूरज अभी ठहरा ठहरा सा  है.....

#निशीथ

©Nisheeth pandey
  #merasheher 
मेरा शहर मेरा मेरा सा क्यूं नहीं है ... 
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मेरे चारों तरफ अंधेरा अंधेरा सा क्यों है ..... 
मेरे सर के ऊपर  सूरज  अभी तो ठहरा ठहरा सा है .... 

मेरा शहर मेरा मेरा सा क्यूं नहीं है ...

#merasheher मेरा शहर मेरा मेरा सा क्यूं नहीं है ... ************** मेरे चारों तरफ अंधेरा अंधेरा सा क्यों है ..... मेरे सर के ऊपर सूरज अभी तो ठहरा ठहरा सा है .... मेरा शहर मेरा मेरा सा क्यूं नहीं है ... #lovequotes #Remember #कविता #Likho #walkalone #Streaks #निशीथ #Parchhai #Tuaurmain #BhagChalo

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