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Nisheeth pandey
प्रकाश जो चमकता है मेरी कविता में किस कौतूहल की तेरी मेरी एक नजर में एक टूटे पुराने प्यार के चटकते रंग उन्माद भरी कहानी , एक हृदयस्पर्शी एहसासें , एक परित्यक्त पीड़ा ...... किसी पंछी के उजड़ते पंख ..... ये कैसा सूरज की किरण में निशीथ पहर (अर्धरात्रि का समय)का बसेरा ..... #निशीथ ©Nisheeth pandey #khoj प्रकाश जो चमकता है मेरी कविता में किस कौतूहल की तेरी मेरी एक नजर में एक टूटे पुराने प्यार के चटकते रंग उन्माद भरी कहानी , एक हृदयस्पर्शी एहसासें ,
Nisheeth pandey
हमने गुलाब के फूल पर रजनीगन्धा का इत्र लगा दिया .... लोग देख गुलाब को रहें हैं पर खोज रजनीगन्धा को रहें हैं .... 🤔 निशीथ 🤔 ©Nisheeth pandey #khoj हमने गुलाब के फूल पर रजनीगन्धा का इत्र लगा दिया .... लोग देख गुलाब को रहें हैं पर खोज रजनीगन्धा को रहें हैं .... 🤔 निशीथ 🤔 #Raftaar
Nisheeth pandey
शीर्षक -खोया मन ---------- फूल फूल सुगन्ध प्रेम के, अर्पित करु मन मीत। प्रेम नहीं पूजा स्वीकार करों, मानूँ अपनी प्रीत।। उड़ने लगे विजय ध्वज, मन लागे मंदिर सा। नैन-नीर- तुम बसे , खोया मन आराधना को।। जीवन समिधा कर दूँ , हो तेरे मेरे प्रीत में अनुमत। ध्यान मेरे-पुष्प-कण्ठहार, सिमन्त पर मेरे नागरक्त ।। #निशीथ ©Nisheeth pandey #KhoyaMan शीर्षक -खोया मन ---------- फूल फूल सुगन्ध प्रेम के, अर्पित करु मन मीत। प्रेम नहीं पूजा स्वीकार करों, मानूँ अपनी प्रीत।। उड़ने लगे विजय ध्वज, मन लागे मंदिर सा। नैन-नीर- तुम बसे , खोया मन आराधना को।।
Nisheeth pandey
तुम नैनों की भाषा शायद समझती नहीं हो .... तुम दिल की भावनाओं को क्या खुंब नज़रंदाज़ करती हो .... लगता है बहुत लंबी लिस्ट है आशिकों की तुम्हारे पास ..... तुम हर एक अदा से इश्कीवायरस फैलाने से बाज़ नहीं आती हो ..... 🤔 #निशीथ 🤔 ©Nisheeth pandey #Shiva&Isha तुम नैनों की भाषा शायद समझती नहीं हो .... तुम दिल की भावनाओं को क्या खुंब नज़रंदाज़ करती हो .... लगता है बहुत लंबी लिस्ट है आशिकों की तुम्हारे पास ..... तुम हर एक अदा से इश्कीवायरस फैलाने से बाज़ नहीं आती हो ..... 🤔 निशीथ 🤔 #Raftaar
Nisheeth pandey
रफ़्तार चाहे कितनी भी हो लोकल ट्रेन या बुल्लेट ट्रैन की ....... रुकना हर हाल में है हर एक पड़ाव पर वरना दुर्धटना तय है ...... #निशीथ ©Nisheeth pandey #Raftaar रफ़्तार चाहे कितनी भी हो लोकल ट्रेन या बुल्लेट ट्रैन की ....... रुकना हर हाल में है हर एक पड़ाव पर वरना दुर्धटना तय है ...... #निशीथ
Nisheeth pandey
हम कलाकार भी बड़े अजीब होते होते हैं , चंद लकीरो में जीवन डूबों लेते हैं 🤔🤔🤔 हां ...मैं सिर्फ सृजन में ख़ुद को डूबे हुए पाता हूँ ..... इसके अलावा कुछ न दिखता न समझता हूँ .... 🤔🤔🤔 #निशीथ ©Nisheeth pandey #Doobey हम कलाकार भी बड़े अजीब होते होते हैं , चंद लकीरो में जीवन डूबों लेते हैं 🤔🤔🤔 हां ...मैं सिर्फ सृजन में ख़ुद को डूबे हुए पाता हूँ ..... इसके अलावा कुछ न दिखता न समझता हूँ ....
Nisheeth pandey
शीर्षक - चॉकलेट --------- प्रेम में विव्हल होकर पहली बार प्रेम में मैंने सबसे पहले भेंट किया था.... चॉकलेट । दिया था मैंने कोमलता और सुंदरता के प्रति अपना योगदान। रैपर में बंद मेरे प्रेम का मीठा एहसास शायद उस वक्त का सूचक था..... उसने भी अपने मन की प्रीति दिखाई मेरे प्रति उसने भी जताया मीठा मीठा सा प्रेम सबसे पहले उसने भी मुझको भेंट की.... चॉकलेट । यह था मेरा और उसका मीठा मीठा एहसास जैसे हमने मांगा था, आसमां से कुछ पल अपने लिए नए रिश्तों में मिठास ही मिठास। प्रेम में जब सबसे पहले लिखीं होगी किसी ने किसी पर कविता.... भौतिक युग में कदाचित कवि ने सबसे सुंदर भेंट चॉकलेट की सराहनीय स्थिति कहीं होगी। "प्रेम से प्रेम में और प्रेमी ने प्रेमिका या प्रेमिका ने प्रेमी को दी गई होगी।" चॉकलेट..... पर रैपर में बंद चॉकलेट चॉकलेट और रैपर का सम्बंध कैसा उफ्फ ये मिलन और जुदाई सफर है कैसा .... फट जाए गर रैपर चढ़ जाए जैसे बलि मिठास प्रेम की जुदाई में मीठापन का अंत स्थिति कैसी रैपर की अब .... न कोई जाने न कोई समझे ..... #निशीथ ©Nisheeth pandey #chocolateday शीर्षक - चॉकलेट --------- प्रेम में विव्हल होकर पहली बार प्रेम में मैंने सबसे पहले भेंट किया था.... चॉकलेट । दिया था मैंने
Nisheeth pandey
शीर्षक - शब्द *************** शब्द शब्द शब्द दुनिया का खेल ‘शब्दों’ का होता है शब्द शब्द को लुभाते हैं शब्द ही शब्द के आखों को रुलाते हैं शब्द ही दिल को समझता शब्द ही मन को दुखाता है शब्द ही शब्द को झकझोर जाते हैं शब्द ही शब्द को सहला भी देते है शब्द ही शब्द पर विश्वास बनाते हैं शब्द ही शब्द पर विश्वासघात कर जाते हैं शब्द ही शब्दों पर ज़िंदगी की तमाम चक्रव्यूह रचते हैं ये शब्द ही हैं शब्दों को जोड़ जाते हैं कभी कविता कभी काव्य कभी रामायण कभी महाभारत रच जाते हैं कभी शास्त्र की पाठ पठा जाते कभी गीता का उपदेश दे जाते शब्दों का ही खेल हैं रिश्तों को जोड़ने और तोड़ने की कगार पर ले जाकर खड़ा करते हैं शब्द ही मृदु है शब्द ही विष है शब्द पर शब्द पर शब्द आगे शब्द पीझे शब्द ऊपर शब्द नीचे शब्द घिरे हैं हम बीच शब्दों के भवँर में ज़िन्दगीं जीने से पहले शब्दों की भीड़ में शब्द चुनने की कला सीखो पहले अर्थ के साथ सम्वेदना को समझो यदि समझना है ज़िंदगी कि यथार्थ शब्द शब्द को तोड़ता शब्द ही शब्दों के रिश्तों को मरोड़ता इसलिये शब्दों को नाप तोल कर स्वीकार किया करो बात शब्द की है तो बता दूँ तुमको शब्दो के साथ करोगे खिलवाड़ तो जीवन को बना देती नि:शब्द शब्दो के साथ करोगे खिलवाड़ तो जीवन को बना देती नि:शब्द #निशीथ 🙏 ©Nisheeth pandey #shabd शीर्षक - शब्द शब्द शब्द शब्द दुनिया का खेल ‘शब्दों’ का होता है शब्द शब्द को लुभाते हैं शब्द ही शब्द के आखों को रुलाते हैं शब्द ही दिल को समझता
Nisheeth pandey
उनकी प्यास की चाहत कभी पूर्ण नहीं होने देते ..... हम अपने प्यासे मन को पूरी तरह तृप्त नहीं होने देते .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #Kundan&Zoya उनकी प्यास की चाहत कभी पूर्ण नहीं होने देते ..... हम अपने प्यासे मन को पूरी तरह तृप्त नहीं होने देते .... #निशीथ #Ambitions #merasheher #SunSet
Nisheeth pandey
ऊपर खुला आसमान सिर उठा कर जब देखता नीला सकून ही सकून दिखता बेन्तेहाँ भीड़ नीचे चारों तरफ बड़े से दुनियाँ में इस दुनियाँ में अपना कोई ही होता है या कईयों के अपने भी नहीं होते जो है जमीन पर देखता यहाँ सपना आसमान पर पहुँचने का जो सपना बस सपना ही होता है, यहाँ ज़मी वालों को लगता आसमाँ है धन का खज़ाना या तिजोरी अगर हम पहुँच लें और लपक सके तो लपक लें यहीं सारे तेरे रिश्तों नातो का पहुंच धन दौलत जैसे अंतिम पड़ाव इस दुनिया का मजबूत जोड़ भागते हुए लोग पहुँचते कहीं नहीं फिर भी निरंतर भागते और भागते बस यहाँ भाग-दौड़ का निरंतर ओलंपिक की दुनिया ये दुनिया है, हाँ खुला आसमान के नीचे सृस्टि है खुला आसमान के नीचे सृस्टि के मानव का अंतिम पड़ाव है खुला आसमान ,,,,,,,,,,, #निशीथ ©Nisheeth pandey #KhulaAasman ऊपर खुला आसमान सिर उठा कर जब देखता नीला सकून ही सकून दिखता बेन्तेहाँ भीड़ नीचे चारों तरफ बड़े से दुनियाँ में इस दुनियाँ में अपना कोई ही होता है