सिर्फ तुम्हारे लिये फेसबुक मैसेज बॉक्स रहता इंतेज़ार की टकटकी लगाए तन्हा ... कब आयेगीं तुम्हारी डीपी से सिटी की आवाज बेपन्हा..... कैसे बताऊँ तुम्हारे इन्तज़ार में होने के तल्ख़ अहसास के बावज़ूद रविवार से रविवार गुजरते रहते .... महीने दर महीने दर्द में तड़पते रहते .... तुम भेजती भी नहीं एक जवाबी कोई संवाद ...... टकटकी भरी नज़रे बस दिखाती ऑनलाइन की तुम्हारी हरी बिंदी तुम्हारी फ़रेब बस बताती ....... #निशीथ ©Nisheeth pandey सिर्फ तुम्हारे लिये फेसबुक मैसेज बॉक्स रहता इंतेज़ार की टकटकी लगाए तन्हा ... कब आयेगीं तुम्हारी डीपी से सिटी की आवाज बेपन्हा..... कैसे बताऊँ तुम्हारे इन्तज़ार में होने के तल्ख़ अहसास के बावज़ूद रविवार से रविवार गुजरते रहते ....