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सखी री कैसे धरूँ मैं धीर---2 आयो न मेरो बलवीर सखी

सखी री कैसे धरूँ मैं धीर---2
आयो न मेरो बलवीर सखी री---
अब दूरी सहा न जाए रे,
नयन करे दिन रैन प्रतीक्षा,
कासे कहूँ मैं मन की बतियाँ,
जाग-जाग मैं काटूँ रतिया।
सावन बरसे रिमझिम-रिमझिम, 
भींग गयो मेरो तन और मन भी,
फिर भी तपन न जाए उर की,
सखी री कैसे धरूँ मैं धीर
सखी री ------

©shashi kala mahto
  #सखी

poonam atrey Lalit Saxena R K Mishra " सूर्य " Rashi Rakesh Srivastava  narendra bhakuni Suresh Gulia डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)  Sethi Ji कवि संतोष बड़कुर अदनासा- Puja Udeshi शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन )  Mili Saha Anshu writer Rajesh Arora Anil Ray