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तू आ लिपटना मुझसे किसी शाम की तरह। नगमा गुनगुना

तू आ लिपटना मुझसे
किसी शाम  की तरह।

नगमा  गुनगुनाना,
अपने नाम की तरह।

ख़्वाब तुम सजाना,
हँसी  चाँद  की  तरह।

रश्क करे शहर भी,
ठहर ख़य्याम की तरह।

‘फ़क़त’ उसके रहना,
हाँ! गुलफ़ाम की तरह।
...
अबोध_मन/’फरीदा’

©अवरुद्ध मन तू आ लिपटना मुझसे
किसी शाम  की तरह।

नगमा  गुनगुनाना,
अपने नाम की तरह।

ख़्वाब तुम सजाना,
हँसी  चाँद  की  तरह।
तू आ लिपटना मुझसे
किसी शाम  की तरह।

नगमा  गुनगुनाना,
अपने नाम की तरह।

ख़्वाब तुम सजाना,
हँसी  चाँद  की  तरह।

रश्क करे शहर भी,
ठहर ख़य्याम की तरह।

‘फ़क़त’ उसके रहना,
हाँ! गुलफ़ाम की तरह।
...
अबोध_मन/’फरीदा’

©अवरुद्ध मन तू आ लिपटना मुझसे
किसी शाम  की तरह।

नगमा  गुनगुनाना,
अपने नाम की तरह।

ख़्वाब तुम सजाना,
हँसी  चाँद  की  तरह।

तू आ लिपटना मुझसे किसी शाम की तरह। नगमा गुनगुनाना, अपने नाम की तरह। ख़्वाब तुम सजाना, हँसी चाँद की तरह। #शायरी #शहर_तेरा #अबोध_मन #अबोध_poetry #अबोध_ग़ज़ल #चाँद_इश्क़ #bridge_bond_beloved #मेरेतुम