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बहुत संभाला करती पलकें एक बूंद पीडा़ ना छलके सांसे

बहुत संभाला करती पलकें
एक बूंद पीडा़ ना छलके
सांसे वेश बदलकर आती
रखते सदा होंठ  भी सिलके
वर्षों पलने वाले पल में कह जाते हैं
कब रुकते हैं रोके आंसू बह जाते हैं

जीवन के संकल्प अधूरे
शायद ही होते हैं पूरे
कितनी पीड़ा और प्रवणता
 शब्द शून्य  जीवन की जड़ता
  कब  बिखरेगी दीन धरा पर
झूठे अहंकार की दृढ़ता
दिन आयु के गढ़ अभेद्य सब ढह जाते हैं
कब रुकते हैं रोके आंसू बह जाते हैं

केवल सुधियों के संचय हैं
और ह्रदय में स्पंदन
विचलित मन के क्रोड खेलता
निष्ठुर छल छल का क्रंदन
माया धर्मी सृष्टि कालका कौतूहल हो
काल प्रकृति की रूद्र भुजाओं का बल हो
खोते स्वजन बिलखते क्या-क्या सह जाते हैं
 कब रुकते हैं रोके आंसू बह जाते हैं

 डॉक्टर सुनील सत्याग्रही #nozoto #hindi #hindipoetry #hindishayari #hindisahitaya #nojoto #nojotopoem #nojotonews #shairy #hindisahitya #hindipoem #nozoto #nozotonews #nozotohindi #hindi #shairi #hindisahitya #hindipoem    #poem   #poetry #allmembers
बहुत संभाला करती पलकें
एक बूंद पीडा़ ना छलके
सांसे वेश बदलकर आती
रखते सदा होंठ  भी सिलके
वर्षों पलने वाले पल में कह जाते हैं
कब रुकते हैं रोके आंसू बह जाते हैं

जीवन के संकल्प अधूरे
शायद ही होते हैं पूरे
कितनी पीड़ा और प्रवणता
 शब्द शून्य  जीवन की जड़ता
  कब  बिखरेगी दीन धरा पर
झूठे अहंकार की दृढ़ता
दिन आयु के गढ़ अभेद्य सब ढह जाते हैं
कब रुकते हैं रोके आंसू बह जाते हैं

केवल सुधियों के संचय हैं
और ह्रदय में स्पंदन
विचलित मन के क्रोड खेलता
निष्ठुर छल छल का क्रंदन
माया धर्मी सृष्टि कालका कौतूहल हो
काल प्रकृति की रूद्र भुजाओं का बल हो
खोते स्वजन बिलखते क्या-क्या सह जाते हैं
 कब रुकते हैं रोके आंसू बह जाते हैं

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