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विषय:-इबादत "बे-बहर "ग़ज़ल वो आज भी हमारी ही पनाह चा

विषय:-इबादत
"बे-बहर "ग़ज़ल
वो आज भी हमारी ही पनाह चाहते है,
वो  इश्क़ में  हमारी  इबादत  चाहते है,

कैसे कहे जो मुमकिन नही हो सकता,
वो आज भी हमें ही  बस हमें चाहते है,

अब करे भी तो करे  किससे शिकायत,
सब छोड़ वो हमें ही बस पाना चाहते है,

बेख्याल है वो हम वर्षों पहले जा चुके है,
पर वो आज भी हमारी रुह को चाहते है,

ज़िद्द पर वो बेमुरव्वत इस कदर आ गए ,
कुछ नही बस एक दीद ए दीदार चाहते है,

"खिजाँ"की कब्र अब रो भी दिए तो जाना,
कि जन्मों जन्मों का साथ हर जन्म चाहते है। #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2021 #इबादत  #kkइबादत #nisha_kamwal
विषय:-इबादत
"बे-बहर "ग़ज़ल
वो आज भी हमारी ही पनाह चाहते है,
वो  इश्क़ में  हमारी  इबादत  चाहते है,

कैसे कहे जो मुमकिन नही हो सकता,
वो आज भी हमें ही  बस हमें चाहते है,

अब करे भी तो करे  किससे शिकायत,
सब छोड़ वो हमें ही बस पाना चाहते है,

बेख्याल है वो हम वर्षों पहले जा चुके है,
पर वो आज भी हमारी रुह को चाहते है,

ज़िद्द पर वो बेमुरव्वत इस कदर आ गए ,
कुछ नही बस एक दीद ए दीदार चाहते है,

"खिजाँ"की कब्र अब रो भी दिए तो जाना,
कि जन्मों जन्मों का साथ हर जन्म चाहते है। #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkr2021 #इबादत  #kkइबादत #nisha_kamwal