क्यूँ।। लेखक क्यूँ लिखता है, की कुछ लाइक मिले मुझको। आशिक क्यूँ सिंकता है, अदद एक वाइफ मिले मुझको। ग्रुप क्यूँ टिकता है, लोग एक टाइप मिले मुझको। मज़मा क्यूँ मिलता है, कहीं कुछ हाइप मिले मुझको। राही क्यूँ मिलता है, फ्री एक राइड मिले मुझको। वाहन क्यूँ बिकता है, सड़क एक वाइड मिले मुझको। बच्चा क्यूँ सीखता है, जीवन का गाइड मिले मुझको। लाड़ क्यूँ दिखता है, अपने सब साइड मिले मुझको। यौवन क्यूँ मिटता है, बॉडी थोड़ी टाइट मिले मुझको। विद्रोह क्यूँ लिखता है, अपना भी राइट मिले मुझको। छात्र क्यूँ लिखता है, जीवन एक ब्राइट मिले मुझको। परीक्षापत्र क्यूँ बिकता है, अंक ज्यादा स्लाइट मिले मुझको। शब्द क्यूँ लिखता है, भाव एक पोलाइट मिले मुझको। लेख क्यूँ टिकता है, कुछ एक इनसाइट मिले मुझको। अनवरत क्यूँ दिखता है, कोई एक साइट मिले मुझको। भाव क्यूँ बिकता है, सच की काइट मिले मुझको। To be continued... ©रजनीश "स्वछंद" क्यूँ।। लेखक क्यूँ लिखता है, की कुछ लाइक मिले मुझको। आशिक क्यूँ सिंकता है, अदद एक वाइफ मिले मुझको। ग्रुप क्यूँ टिकता है,