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221 1222 221 1222 जलवा वो मुझे अपना हर बार दिखाता

221 1222 221 1222 
जलवा वो मुझे अपना हर बार दिखाता है
मुझ गिरते हुए को वो हर बार उठाता है

राएगाँ न कर तू अपनी ज़िन्दगी यूँ तन्हा
हाँ, वो ख़ुदा सब को ही, मंज़िल से मिलाता है 

शिद्दत है तिरे अंदर, तो सब यहाँ है हासिल
महनत से वो सहरा में, फूलों को खिलाता है 

वो क़ाफ़िया चुन-चुन कर रखता है ग़ज़ल में अब
उश्शाक़ को ही, अपनी ग़ज़लें वो सुनाता है 

सदियों से लगी, दिल में है आग, मुहब्बत की
वो वस्ल की रातों में, ये आग बुझाता है 

दुन्या के रिवाज़ों में जकड़ा हूँ यहाँ मैं अब
मायूस न हो जाऊं, वो मुझ को हँसाता है

मग़रूर "सफ़र" तू ने तोड़े, कई दिल हैं याँ
तेरे दिए ज़ख्मो को, वो सब को गिनाता है 🔹शिद्दत है तिरे अंदर, तो सब यहाँ हासिल है🔹

उश्शाक़- आशिक़
राएगाँ- wastage
मग़रूर- घमंड

#शायरी #shayari #gazal #सफ़र_ए_प्रेरित #yqbaba #yqdidi
221 1222 221 1222 
जलवा वो मुझे अपना हर बार दिखाता है
मुझ गिरते हुए को वो हर बार उठाता है

राएगाँ न कर तू अपनी ज़िन्दगी यूँ तन्हा
हाँ, वो ख़ुदा सब को ही, मंज़िल से मिलाता है 

शिद्दत है तिरे अंदर, तो सब यहाँ है हासिल
महनत से वो सहरा में, फूलों को खिलाता है 

वो क़ाफ़िया चुन-चुन कर रखता है ग़ज़ल में अब
उश्शाक़ को ही, अपनी ग़ज़लें वो सुनाता है 

सदियों से लगी, दिल में है आग, मुहब्बत की
वो वस्ल की रातों में, ये आग बुझाता है 

दुन्या के रिवाज़ों में जकड़ा हूँ यहाँ मैं अब
मायूस न हो जाऊं, वो मुझ को हँसाता है

मग़रूर "सफ़र" तू ने तोड़े, कई दिल हैं याँ
तेरे दिए ज़ख्मो को, वो सब को गिनाता है 🔹शिद्दत है तिरे अंदर, तो सब यहाँ हासिल है🔹

उश्शाक़- आशिक़
राएगाँ- wastage
मग़रूर- घमंड

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🔹शिद्दत है तिरे अंदर, तो सब यहाँ हासिल है🔹 उश्शाक़- आशिक़ राएगाँ- wastage मग़रूर- घमंड #शायरी shayari #gazal #सफ़र_ए_प्रेरित #yqbaba #yqdidi