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एक मुक्तक लोगों की किस लिए अज़ीयत बनी रहे, तूफ़ान

एक मुक्तक

लोगों की किस लिए अज़ीयत बनी रहे,
तूफ़ान लाख आए,पर हिम्मत बनी रहे।
डरते नहीं है हम भी, किसी और से यहां,
हम पर खुदा की खूब इनायत बनी रहे।

©कवियत्री विजयता शर्मा
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