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कवियत्री विजयता शर्मा

Santosh Sawner (untold words writer)

Author kunal

यादें गुजर कर हुए फ़क़त परेशान कितने 
इक तमस में निशार कफ़न कितने 

छू कर तरजीह देते उल्फत के परवाने अपने
बहते लहू की नदियां में ढलते शा इ र कितने 

तुम मैं आप यही लहजे है तबाह के पहले लक्षण
चंद मुस्कुराहट में बिसरा दिय जाते गम के बादल कितने

सुकूँ मुनासिब नहीं इक झूठ पे प्यारे 
धागे टूट ही जाते गुज़रे कल के दरमियान कितने

ये तश्नगी का दौर है कामिल राहों में 
आते जाते रहेंगे अजीज़ लोग कितने 

भूल कर  जीना सिख लो यार तुम भी अब कामिल
इतिहास के पन्नो में जिंदा है टूटे आशिक़ कितने । #ग़जल 
#कामिल-रूह
#kamil_kavi 
#kunu 
#yqdidi 
#yqbaba 
#kunalpoetry 
#restzone

Haquikat

गज़ल ए हकिकत Darshan Raj Sandeep Rajput Roshani Thakur jagdish dawar Priya keshri (Kaise कहे हमे कितनी मोह्हबत हैं) #ग़जल

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#ग़जल -ए -हकि़कत 

आके महफिल में भी ना आये हुए से हैं। 
क्युँ बिन गुनाह के भी वो पछ्ताए हुए से हैं। 
मिली निगाहें हमारी भी निगाहों से एक बार को ,
जब से ही वक़्त- ए -महफिल मे आँख चुराये से हैं। 
जाने कैसे समझुँ जाने कैसे समझाऊँ? 
जबसे आये है दूरियाँ बनाये से हैं। 
खैरियत -ए- महफिल ली तो ठीक सा मालूम पड़ता है।
लबों पे मुस्कान और आँखो में कुछ छलकाये से हैं 
जुडे़ दिल से है मगर आज जानते तक नहीं ,
बेबसी और खा़मोशी मे वो राज़ छुपाये से हैं 
मालूम नही पड़़ती आज महफिल महफिल सी हमें। 
एक खामोशी मे वो हजा़र सवाल उठाये से हैं। 
ना गुरूर ना शाद ना खुशी दिखती है मुझे ।
निगाहें मेरी हटी तो मुझसे ही निगाहें मिलाये से हैं। 
आके महफिल मे भी वो ना आये हुए से हैं। 
क्युँ बिन गुनाह के भी वो पछ्ताए हुए से हैं। 

..........haquikat**❤ गज़ल ए हकिकत  Darshan Raj Sandeep Rajput Roshani Thakur jagdish dawar Priya keshri (Kaise कहे हमे कितनी मोह्हबत हैं)

Choubey_Jii

💞Sk Siddarth💞

#ग़जल

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#ग़जल 
💑    🌹🌹🌹🌹🌹🌹
👫           [_รк รเ∂∂ลя†ђ _]
तेरी  उल्फत  की  एक  किताब  लिखूंगा 
आँखों को झील चेहरे को गुलाब लिखूंगा १
▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄
तेरे होठों  को मधुशाला  लिख दिया मैनें  
अब  तेरे   चेहरे  को  महताब   लिखूंगा  २
▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄
मेरे महबूब तू किसी कयामत से कम नहीं  
तेरे  हुश्न  को  "दिव्य" लाजवाब लिखूंगा ३
▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄
लिखूंगा तेरे साथ दोजख भी स्वर्ग जैसा है 
बिन तेरे जन्नत को भी  खराब  लिखूंगा ४
▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄
मिल जाये मोहलत मुझे थोडी़ सी अंकुश 
फिर   तेरे   खत   का   जबाब  लिखूंगा ५
▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄▄
         🌹✍एस.के.सिद्धार्थ "अंकुश"

CalmKrishna

#OpenPoetry ये बेसब्री, ये बेकरारी क्यों है,
मुझे देख जुल्फें संवारी क्यों है।

करीब से निकलती हो झुका के नजरें,
फिर मुड़ के देखने की बीमारी क्यों है।

रब से ज्यादा तुझे ना माना हो अगर,
मेरे कमरे में तस्वीर तुम्हारी क्यों है।

मैं छोड़ गया शहर तो कर लेती शादी,
मुहब्बत नहीं मुझसे तो कंवारी क्यों है।

मुझे मीठा है पसंद, याद है ना तुम्हें,
वरना पर्स में चाकलेट इतनी सारी क्यों है।

हाथ मिले, पर लकीरें ना मिल सकी,
इतनी बद- किस्मत हमारी क्यों है । #OpenPoetry #gazal #ग़जल
#शेर #Shayari #kavita #क्यों 
#Hindipoetry #Poetry #Love
#oldmemories #Calmkrishna
#Nojoto #Nojotohindi #Quotes

चंचल Mahaur स्वर'

#ग़जल

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भले ही खुश न रहो पर मुस्कुराना जरूरी है
ये दुनिया है “चंचल” यहाँ दिखावा जरूरी है ! 

जिन्दा रहकर भी मर ही रहे हैं हम, लेकिन 
दुनिया को जिन्दा भी नजर आना जरुरी है ! 

यूँ तो मिल ही लेते हैं दोस्तों से हम रोज ही 
घर पर दावत के लिए हमें बुलावा जरुरी है ! 

समुन्द्र की गहराई में उतर तो जाऊँ मैं, 
लेकिन पाने को मोती पार लगाना जरुरी है ! 

ग़मों से आबाद ये अपनी “चंचल” जिंदगी
लबों पर रख मुस्कान इसे महकाना जरुरी है !  

😊👀✌️
चंचल माहौर  #ग़जल

CalmKrishna

ग़जल लिखी जाए 😊 #gazal #hindipoetry #Shayari #ग़जल #nojotohindi #Poetry

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Lover ............ ग़जल लिखी जाए 😊
#Gazal #Hindipoetry #Shayari #ग़जल #nojotohindi
#Nojoto #Poetry

अशोक विशिष्ट

-------- *गज़ल*-------
यार यों मुस्करा करके वक्त तुम ज़ाया करती हो।

तो दिल गहराई तक क्यो हमेशा जाया करती हो।


रूहानी रिश्ता समझ तितलियों ने क्या कह दिया।

कलियों जो अब तुम भँवरों को पराया करती हो।


दिल समंदर है मेरा जल वैसे ही खारा बहुत है।

नदियों सूखकर क्यो आँसू तुम बहाया करती हो।


तलबगार हूँ तेरा "विशिष्ट" कोई शायर तो नही।

दिल  मेहमान  हूँ तेरा  तो क्यों सताया करती हो।

  अशोक "विशिष्ट" #ग़जल...
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