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वाह पुरूष जिन रिश्तो नातों को तू अजीज कहता हैं उ

वाह पुरूष 
जिन रिश्तो नातों को तू अजीज कहता हैं 
उन्हीं का आड़ लेकर तू उन्हीं को छलता हैं 

वाह पुरुष 
जिन रिश्तो को तू मर्यादा में रहने को कहता है 
उन्हीं का आड़ लेकर तू उन्हीं पर डोरे डालता है 

वाह पुरूष 
कभी मोहनी तो कभी शिखंडी का रूप धरता है
फिर क्यूं स्त्री जात को तू कभी सम्मान नही देता है

©rajeshwari Thakur #रूप
वाह पुरूष 
जिन रिश्तो नातों को तू अजीज कहता हैं 
उन्हीं का आड़ लेकर तू उन्हीं को छलता हैं 

वाह पुरुष 
जिन रिश्तो को तू मर्यादा में रहने को कहता है 
उन्हीं का आड़ लेकर तू उन्हीं पर डोरे डालता है 

वाह पुरूष 
कभी मोहनी तो कभी शिखंडी का रूप धरता है
फिर क्यूं स्त्री जात को तू कभी सम्मान नही देता है

©rajeshwari Thakur #रूप