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जाने कैसे कैसे यार मिले, खुदगर्जी के ही बाज़ार मिले

जाने कैसे कैसे यार मिले,
खुदगर्जी के ही बाज़ार मिले।

मुड़ के देखे भी न बेबजह वो,
काम पड़े तो सौ सौ बार मिले,

चाहा जो मैं जाँच-परख करना,
मेरी इज्ज़त तार तार मिले।

निकले जो एक दफा इस घर से,
वो फिर न कहीं संसार मिले।

न उठाया उसने फोन किया तो,
मैं सोचा आके इक बार मिले।

दो फूल कहा करते थे जिसको,
उसमें से ही तो इक खार मिले ।

खुश रहना है तो भूल उन्हें जा,
जिनकी जीत से तुझको हार मिले।

ढूँढ़ा है जो 'राज' जमाने में,
सच्चे साथी बस दो चार मिले।

©Amit Raj #Nojoto #nojotohindi #amitrajquotes #friends #Love #gazal #poem #Song  #Life 

#Moon
जाने कैसे कैसे यार मिले,
खुदगर्जी के ही बाज़ार मिले।

मुड़ के देखे भी न बेबजह वो,
काम पड़े तो सौ सौ बार मिले,

चाहा जो मैं जाँच-परख करना,
मेरी इज्ज़त तार तार मिले।

निकले जो एक दफा इस घर से,
वो फिर न कहीं संसार मिले।

न उठाया उसने फोन किया तो,
मैं सोचा आके इक बार मिले।

दो फूल कहा करते थे जिसको,
उसमें से ही तो इक खार मिले ।

खुश रहना है तो भूल उन्हें जा,
जिनकी जीत से तुझको हार मिले।

ढूँढ़ा है जो 'राज' जमाने में,
सच्चे साथी बस दो चार मिले।

©Amit Raj #Nojoto #nojotohindi #amitrajquotes #friends #Love #gazal #poem #Song  #Life 

#Moon