उनके दीदार की तलब में छत पे आता होगा चाँद,
उनके रुख़सार के तिल पे अटक जाता होगा चाँद।
साँझ के आते ही; पकड़ उसका हाथ, पास बिठा
अपने ही इश्क़ के अफसाने दोहराता होगा चांद।
बैरी बन; आवारा बादलों की ओट में छिप करके,
नटखट अठखेली कर इश्क़ को सताता होगा चाँद। #शायरी#चांद_इश्क#अबोध_मन#गुस्ताख़फरीदा#अबोध_poetry#अबोध_love#अबोध_ग़ज़ल