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तनख़्वाह अभी मिली ही थी की जरूरतें बटुए में झांकने

तनख़्वाह अभी मिली ही थी
की जरूरतें बटुए में झांकने लगी
आज फिर मेरी ख्वाहिशें
धूल फांकने लगीं।
शायर-गुमनाम।

©शायर-गुमनाम।
  #मैं और मेरे एहसास।

#मैं और मेरे एहसास। #शायरी

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