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लोकतंत्र की छावं तो देखो,ह्रदय चीर लहू का रंग तिरं

लोकतंत्र की छावं तो देखो,ह्रदय चीर लहू का रंग तिरंगा देखो,
दो पल छोड़  सारे काम ,बस मेरे वीरो को सोचो।
सवा लाख करोड़ आबादी के मेरे सत्तर साल के इस युवा को देखो,
बोल लो कुछ भी इसके खिलाफ़,ऐसा दयावान संविधान देखो।
जहां पग पग पर बदलती बोलिया,जगतगुरु राष्ट्रवादी संविधान देखो,
पापियो को भी दे एक औऱ अवसर,मेरा ग्रंथ प्रधान देखो।
होंगी कुछ कमिया पर ,धरा  में कोइ ना इसके जैसा चाहे तुम कितना खोजो,
नमन है बलिदानी सपूतो को ओर उन महाग्रन्थ संविधान रचनाकारो को,
भारत भूमि को भारत बनाने वालो को कुछ पल तो सोचो।।❤
Yogesh mahar'yogesh'

 #poetry #samvidhan #veer saput #meradesh #mahagranth#yqdidi#26jan#poem
लोकतंत्र की छावं तो देखो,ह्रदय चीर लहू का रंग तिरंगा देखो,
दो पल छोड़  सारे काम ,बस मेरे वीरो को सोचो।
सवा लाख करोड़ आबादी के मेरे सत्तर साल के इस युवा को देखो,
बोल लो कुछ भी इसके खिलाफ़,ऐसा दयावान संविधान देखो।
जहां पग पग पर बदलती बोलिया,जगतगुरु राष्ट्रवादी संविधान देखो,
पापियो को भी दे एक औऱ अवसर,मेरा ग्रंथ प्रधान देखो।
होंगी कुछ कमिया पर ,धरा  में कोइ ना इसके जैसा चाहे तुम कितना खोजो,
नमन है बलिदानी सपूतो को ओर उन महाग्रन्थ संविधान रचनाकारो को,
भारत भूमि को भारत बनाने वालो को कुछ पल तो सोचो।।❤
Yogesh mahar'yogesh'

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