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अकेला मैं भी हूं और तन्हाई में तुम भी हो, ज़िंदगी

अकेला मैं भी हूं और तन्हाई में तुम भी हो,
ज़िंदगी का सफ़र लंबा है, मंज़िल अभी दूर है।
आओ साथ चलें, क्यूं ख़्यालों में गुम सी हो,
ज़ुबाँ ने गुस्ताख़ी की, दिलों का क्या कुसूर है।

©Amit Singhal "Aseemit"
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