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घर जल रहा मेरा ख़ुद को बचाने की जद में अब ख़ाक की

घर जल रहा मेरा ख़ुद को बचाने की जद में
अब ख़ाक की राख तक न सिमट रही उस जद में!

काश.... की करिश्मा कुछ यूँ हो मेरे राम, 
दो-दो हाथ हो ही जाएँ जिंदगी से हारने की जद में।

मुमकिन है रोएँगे कुछ दूर सोनू, 
पर किसी को मरम तक न रहे मेरे होने न होने की जद में

©अभिषेक मिश्रा "अभि"
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#सोनू_की_कलम_से 
#संघर्ष_ए_जिंदगी 
#मैं_मेरी_तन्हाई