रोज-ओ-शब़ हम होते है उदास करके तुम्हें याद ए मेरे अज़ीज़-तर तुम कब सुनोगी मेरी फरियाद शाम-ओ-सहर हम अहमक़ की तरह भिजवाते है कई पैग़ाम क्या तुम उसे पढ़कर नहीं दोगे हमारी दाद एक तुम ही तो हो हमारे वफ़ा-शिआर हबीब दोस्त जिसे बताते है हम हमारे सारे राज और तुम ही हो दिलशाद तुम्हारा ऐसा वर्तन देखकर हमारा दिल भीतर से बहुत रोता है भले ही बाहर से सुनाता हो लोगों को सिंहनाद यूँ हमे तजाहुल करके क्या मिलना है ? क्या तुम पैग़ाम पढ़ोगे इस "राही" के मरने के बाद #कोराकाग़ज़ #kkमरनेकेबाद #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #collabwithकोराकाग़ज़ #tigreess