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"माँ की मोहब्बत" माँ की मोहब्बत जग में निराली, बि

"माँ की मोहब्बत"

माँ की मोहब्बत जग में निराली,
बिना स्वार्थ के भी अपार दर्द सह के,
जिसने नव महीने हमको पेट में सवारा,
ममता की मुरत,सहनशीलता की सूरत,
हर वक़्त जिसने संतान के आगे अपनी खुशी त्यागी। 

माँ की मोहब्बत का कोई मोल नहीं, 
बचपन में जब हम सोते नहीं थे,
रात भर लोरी गा के अपनी गोद में सुलाती वो, 
जब हम जागते तब वह जागती,जब हम सोते तब वह सोती,
ऊपर से पूरा दिन परिवार का ख़्याल भी रखती। 

जब हम रोते थे तो साथ में उसके भी आंसू निकलते थे,
जब हम पड़ते थे बीमार, 
दवाइयों साथ रखती थी वह मन्नत भी, 
पूरा दिन हमारा ख़्याल रखने के चक्कर में, 
कभी तो उसको भी नहीं मिलता था वक़्त खाने का। 

बचपन से लेकर बड़ा किया उसने हमको अपने प्यार से,
डाटा भी उसने हमेंशा हमारी गलतियों पर, 
संस्कारों का सींचन करके परवरिश की हमारी,
हम चाहे कितने भी बड़े आदमी क्यों ना बन जाए,
लेकिन एक माँ के आगे हम तो बच्चे ही रहेंगे। 

ना देख सकी कभी वह दुःख दर्द तेरा,
ना ही देख सकी कभी तुझे मायूस, 
तेरी उंगली पकड़कर तुम्हें हमेंशा दिखाई राह, 
उसी तरह तू भी सारी जिंदगी उसको हमेंशा अपने साथ रखना, 
और ना दिखाना राह उसको कभी वृद्धाश्रम की। 
-Nitesh Prajapati 











 रचना क्रमांक :-12       14/04/2022

#kkrमाँकीमोहब्बत
#collabwithकोराकाग़ज़
#रमज़ानकोराकाग़ज़
#kkr2022
#कोराकाग़ज़
#kkrnitesh
"माँ की मोहब्बत"

माँ की मोहब्बत जग में निराली,
बिना स्वार्थ के भी अपार दर्द सह के,
जिसने नव महीने हमको पेट में सवारा,
ममता की मुरत,सहनशीलता की सूरत,
हर वक़्त जिसने संतान के आगे अपनी खुशी त्यागी। 

माँ की मोहब्बत का कोई मोल नहीं, 
बचपन में जब हम सोते नहीं थे,
रात भर लोरी गा के अपनी गोद में सुलाती वो, 
जब हम जागते तब वह जागती,जब हम सोते तब वह सोती,
ऊपर से पूरा दिन परिवार का ख़्याल भी रखती। 

जब हम रोते थे तो साथ में उसके भी आंसू निकलते थे,
जब हम पड़ते थे बीमार, 
दवाइयों साथ रखती थी वह मन्नत भी, 
पूरा दिन हमारा ख़्याल रखने के चक्कर में, 
कभी तो उसको भी नहीं मिलता था वक़्त खाने का। 

बचपन से लेकर बड़ा किया उसने हमको अपने प्यार से,
डाटा भी उसने हमेंशा हमारी गलतियों पर, 
संस्कारों का सींचन करके परवरिश की हमारी,
हम चाहे कितने भी बड़े आदमी क्यों ना बन जाए,
लेकिन एक माँ के आगे हम तो बच्चे ही रहेंगे। 

ना देख सकी कभी वह दुःख दर्द तेरा,
ना ही देख सकी कभी तुझे मायूस, 
तेरी उंगली पकड़कर तुम्हें हमेंशा दिखाई राह, 
उसी तरह तू भी सारी जिंदगी उसको हमेंशा अपने साथ रखना, 
और ना दिखाना राह उसको कभी वृद्धाश्रम की। 
-Nitesh Prajapati 











 रचना क्रमांक :-12       14/04/2022

#kkrमाँकीमोहब्बत
#collabwithकोराकाग़ज़
#रमज़ानकोराकाग़ज़
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