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धुंधला इश्क वो धुंधला-धुंधला सा इश्क रहा। वो बीखर

धुंधला इश्क

वो धुंधला-धुंधला सा इश्क रहा।
वो बीखरा-बीखरा बीखरता रहा।

दर्द-ओ-गम के इस मेले में,
मेरा सब कुछ बीकता रहा।

मुकम्मल नहीं वो इश्क कभी भी,
वो दिल-ही-दिल में मरता रहा।

कब तक बाँहों में जकड़े रखुँ ,
उसे जाना था सो वह जाता रहा।

मुस्कुराती दुनिया से नज़रें मिलाके,
मैं अन्दर-ही-अन्दर रोता रहा।

इश्क हमेशा एक नायाब पहेली रही,
एक ही शख्स से हरबार होता रहा।

RAG The ghazal of RAG
#धुंधला इश्क
#yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqhindi #yqurdu #yqghazal
धुंधला इश्क

वो धुंधला-धुंधला सा इश्क रहा।
वो बीखरा-बीखरा बीखरता रहा।

दर्द-ओ-गम के इस मेले में,
मेरा सब कुछ बीकता रहा।

मुकम्मल नहीं वो इश्क कभी भी,
वो दिल-ही-दिल में मरता रहा।

कब तक बाँहों में जकड़े रखुँ ,
उसे जाना था सो वह जाता रहा।

मुस्कुराती दुनिया से नज़रें मिलाके,
मैं अन्दर-ही-अन्दर रोता रहा।

इश्क हमेशा एक नायाब पहेली रही,
एक ही शख्स से हरबार होता रहा।

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