धुंधला इश्क वो धुंधला-धुंधला सा इश्क रहा। वो बीखरा-बीखरा बीखरता रहा। दर्द-ओ-गम के इस मेले में, मेरा सब कुछ बीकता रहा। मुकम्मल नहीं वो इश्क कभी भी, वो दिल-ही-दिल में मरता रहा। कब तक बाँहों में जकड़े रखुँ , उसे जाना था सो वह जाता रहा। मुस्कुराती दुनिया से नज़रें मिलाके, मैं अन्दर-ही-अन्दर रोता रहा। इश्क हमेशा एक नायाब पहेली रही, एक ही शख्स से हरबार होता रहा। RAG The ghazal of RAG #धुंधला इश्क #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqhindi #yqurdu #yqghazal