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ये कौन गया है सफर पर हमारा , क्यों ये फूल अब मुरझा

ये कौन गया है सफर पर हमारा ,
क्यों ये फूल अब मुरझा रहे हैं ;
उनके जाने का दुख है या क्या है ,
क्यों हम अब खुद से बातें बना रहे हैं ;
उनकी आँखों ने भटकाया है शायद ,
कहां को चले थे हम और कहां चले जा रहे हैं ;
किसी का गुज़रा है वक्त बहुत तेजी से ,
हम एक अरसा गुज़ार कर आ रहे हैं ;
तुम्हारा मन शायद ना भरा हो इन सब से ,
हमें तो इस झूले में अब चक्कर आ रहे हैं ;
छोड़ दी है हमने अब फ़िज़ूल की चाहतें ,
हम एक सदमें से बाहर आ रहे हैं....

©Vibhu Karn
  भाग 2...
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